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वसू॑ रु॒द्रा पु॑रु॒मन्तू॑ वृ॒धन्ता॑ दश॒स्यतं॑ नो वृषणाव॒भिष्टौ॑। दस्रा॑ ह॒ यद्रेक्ण॑ औच॒थ्यो वां॒ प्र यत्स॒स्राथे॒ अक॑वाभिरू॒ती ॥

English Transliteration

vasū rudrā purumantū vṛdhantā daśasyataṁ no vṛṣaṇāv abhiṣṭau | dasrā ha yad rekṇa aucathyo vām pra yat sasrāthe akavābhir ūtī ||

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Pad Path

वसी॒ इति॑। रु॒द्रा। पु॒रु॒मन्तू॒ इति॑ पु॒रु॒ऽमन्तू॑। वृ॒धन्ता॑। द॒श॒स्यत॑म्। नः॒। वृ॒ष॒णौ॒। अ॒भिष्टौ॑। दस्रा॑। ह॒। यत्। रेक्णः॑। औ॒च॒थ्यः। वा॒म्। प्र। यत्। स॒स्राथे॒ इति॑। अक॑वाभिः। ऊ॒ती ॥ १.१५८.१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:158» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:1» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब द्वितीयाष्टक के तृतीय अध्याय का आरम्भ है। उसमें एकसौ अट्ठावनवें सूक्त के प्रथम मन्त्र में शिक्षा करनेवाले और शिष्य के कर्मों का वर्णन करते हैं ।

Word-Meaning: - हे सभा और शालाधीशो ! (यत्) जो (वाम्) तुम दोनों का (औचथ्यः) उचित अर्थात् प्रशंसितों में हुआ (रेक्णः) धन है उस धन को (यत्) जो तुम दोनों (अकवाभिः) प्रशंसित (ऊती) रक्षाओं से हम लोगों के लिये (सस्राथे) प्राप्त कराते हो वे (ह) ही (वृधन्ता) बढ़ते हुए (पुरुमन्तू) बहुतों से मानने योग्य (दस्रा) दुःख के नष्ट करनेहारे (वृषणौ) बलवान् (वसु) निवास दिलानेवाले (रुद्रा) चवालीस वर्ष लों ब्रह्मचर्य से धर्मपूर्वक विद्या पढ़े हुए सज्जनो (अभिष्टौ) इष्ट सिद्धि के निमित्त (नः) हमारे लिये सुख (प्र, दशस्यतम्) उत्तमता से देओ ॥ १ ॥
Connotation: - जो सूर्य और पवन के समान सबका उपकार करते हैं, वे धनवान् होते हैं ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शिक्षकशिष्यकर्माण्याह ।

Anvay:

हे सभाशालेशौ ! यद्यो वामौचथ्यो रेक्णोऽस्ति तं यद्यौ युवामकवाभिरूती नोऽस्मभ्यां सस्राथे तौ ह वृधन्ता पुरुमन्तू दस्रा वृषणौ वसू रुद्राऽभिष्टौ न सुखं प्रदशस्यतम् ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (वसू) वासयितारौ (रुद्रा) चतुश्चत्वारिंशद्वर्षप्रमितब्रह्मचर्य्येणाधीतविद्यौ (पुरुमन्तू) पुरुभिर्बहुभिर्मन्तव्यौ (वृधन्ता) वर्द्धमानौ (दशस्यतम्) दत्तम् (नः) अस्मभ्यम् (वृषणौ) वीर्यवन्तौ (अभिष्टौ) इष्टसिद्धौ (दस्रा) दुःखोपक्षयितारौ (ह) (यत्) यः (रेक्णः) धनम्। रेक्ण इति धनना०। निघं० २। १०। (औचथ्यः) प्रशंसितेषु भवः (वाम्) युवयोः (प्र) (यत्) यौ (सस्राथे) प्रापयतः (अकवाभिः) प्रशंसिताभिः (ऊती) रक्षाभिः ॥ १ ॥
Connotation: - ये सूर्य्यवायुवत् सर्वानुपकुर्वन्ति ते श्रीमन्तो जायन्ते ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात शिष्य व अध्यापकाच्या कामाचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे सूर्य व वायूप्रमाणे सर्वांवर उपकार करतात ते धनवान होतात. ॥ १ ॥