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द॒दा॒नमिन्न द॑दभन्त॒ मन्मा॒ग्निर्वरू॑थं॒ मम॒ तस्य॑ चाकन्। जु॒षन्त॒ विश्वा॑न्यस्य॒ कर्मोप॑स्तुतिं॒ भर॑माणस्य का॒रोः ॥

English Transliteration

dadānam in na dadabhanta manmāgnir varūtham mama tasya cākan | juṣanta viśvāny asya karmopastutim bharamāṇasya kāroḥ ||

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Pad Path

द॒दा॒नम्। इत्। न। द॒द॒भ॒न्त॒। मन्म॑। अ॒ग्निः। वरू॑थम्। मम॑। तस्य॑ चा॒क॒न्। जु॒षन्त॑। विश्वा॑नि। अ॒स्य॒। कर्म॑। उप॑ऽस्तुतिम्। भर॑माणस्य। का॒रोः ॥ १.१४८.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:148» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! आप जो (अग्निः) विद्वान् (मम) मेरे और (तस्य) उसके (वरूथम्) उत्तम (मन्म) विज्ञान को (ददानम्) देते हुए उनकी (चाकन्) कामना करता है उसको (नेत्) नहीं (ददभन्त) मारो, (अस्य) इस (भरमाणस्य) भरण-पोषण करते हुए (कारोः) शिल्पविद्या से सिद्ध होने योग्य कामों को करनेवाले उनके (विश्वानि) समस्त (कर्म) कर्मों की (उपस्तुतिम्) समीप प्राप्त हुई प्रशंसा को आप (जुषन्त) सेवो ॥ २ ॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो जिनके लिये विद्या दें वे उसकी सेवा निरन्तर करें और अवश्य सब लोग वेद का अभ्यास करें ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे मनुष्या भवन्तो योऽग्निर्विद्वान् मम तस्य च वरूथं मन्म ददानं चाकन् तन्नेद् ददभन्त। अस्य भरमाणस्य कारोर्विश्वानि कर्मोपस्तुतिं च भवन्तो जुषन्त ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (ददानम्) दातारम् (इत्) (न) निषेधे (ददभन्त) दभ्नुयुः (मन्म) विज्ञानम् (अग्निः) (वरूथम्) श्रेष्ठम् (मम) (तस्य) (चाकन्) कामयते (जुषन्त) सेवन्ताम् (विश्वानि) सर्वाणि (अस्य) (कर्म) कर्माणि (उपस्तुतिम्) उपगतां प्रशंसाम् (भरमाणस्य) (कारोः) शिल्पविद्यासाध्यकर्त्तुः ॥ २ ॥
Connotation: - हे मनुष्या यो येभ्यो विद्या दद्यात् ते तस्य सेवां सततं कुर्युः। अवश्यं सर्वे वेदाभ्यासं च कुर्य्युः ॥ २ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो ज्यांना विद्या देतो त्यांनी त्यांची सतत सेवा करावी व सर्व लोकांनी अवश्य वेदाचा अभ्यास करावा. ॥ २ ॥