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त्वया॒ ह्य॑ग्ने॒ वरु॑णो धृ॒तव्र॑तो मि॒त्रः शा॑श॒द्रे अ॑र्य॒मा सु॒दान॑वः। यत्सी॒मनु॒ क्रतु॑ना वि॒श्वथा॑ वि॒भुर॒रान्न ने॒मिः प॑रि॒भूरजा॑यथाः ॥

English Transliteration

tvayā hy agne varuṇo dhṛtavrato mitraḥ śāśadre aryamā sudānavaḥ | yat sīm anu kratunā viśvathā vibhur arān na nemiḥ paribhūr ajāyathāḥ ||

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Pad Path

त्वया॑। हि। अ॒ग्ने॒। वरु॑णः। धृ॒तऽव्र॑तः। मि॒त्रः। शा॒श॒द्रे। अ॒र्य॒मा। सु॒ऽदान॑वः। यत्। सी॒म्। अनु॑। क्रतु॑ना। वि॒श्वऽथा॑। वि॒ऽभुः। अ॒रान्। न। ने॒मिः। प॒रि॒ऽभूः। अजा॑यथाः ॥ १.१४१.९

Rigveda » Mandal:1» Sukta:141» Mantra:9 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:9» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:21» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वान् ! जैसे (त्वया) तुम्हारे साथ (यत्) जो (वरुणः) श्रेष्ठ (धृतव्रतः) सत्य व्यवहार को धारण किये हुए (मित्रः) सबका मित्र और (अर्यमा) न्यायाधीश (सुदानवः) अच्छे दानशील (हि) ही होते हैं वैसे उनके सङ्ग से आप (नेमिः) पहिआ (अरान्, न) अरों को जैसे वैसे (विश्वथा) वा जैसे सब प्रकार से (विभुः) ईश्वर व्यापक है वैसे (क्रतुना) उत्तम बुद्धि से (परिभूः) सर्वोपरि (सीम्) सब ओर से (अनु, अजायथाः) अनुक्रम से होओ जिससे दुःख को (शाशद्रे) नष्ट करो ॥ ९ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जैसे ईश्वर न्यायकारी और सब विद्याओं में प्रवीण है, वैसे विद्वानों के सङ्ग से बुद्धिमान्, न्यायकारी और पूरी विद्यावाला हो ॥ ९ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे अग्ने यथा त्वया सह यद्ये वरुणो धृतव्रतो मित्रोऽर्यमा च सुदानवो हि भवन्ति तथा तत्सङ्गेन त्वं नेमिररान्नेव विश्वथा विभुरीश्वर इव क्रतुना परिभूः सीमन्वजायथा यतो दुःखं शाशद्रे छिन्नं कुर्याः ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (त्वया) (हि) खलु (अग्ने) विद्वन् (वरुणः) श्रेष्ठः (धृतव्रतः) धृतसत्यः (मित्रः) (शाशद्रे) शातयेः (अर्यमा) न्यायाधीशः (सुदानवः) सुष्ठु दानं येषान्ते (यत्) ये (सीम्) सर्वतः (अनु) (क्रतुना) प्रज्ञया (विश्वथा) सर्वथा (विभुः) व्यापक ईश्वरः (अरान्) चकस्याऽवयवान् (न) इव (नेमिः) चक्रम् (परिभूः) सर्वेषामुपरि भवतीति (अजायथाः) जायेथाः ॥ ९ ॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। यथेश्वरो न्यायकारी सर्वासु विद्यासु प्रवीणोऽस्ति तथा विदुषां सङ्गेन प्राज्ञो न्यायकारी पूर्णविद्यश्च स्यात् ॥ ९ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. जसा ईश्वर न्यायी व सर्व विद्येत प्रवीण असतो तसे विद्वानांच्या संगतीने बुद्धिमान, न्यायी व पूर्ण विद्यावान व्हावे. ॥ ९ ॥