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यु॒वां स्तोमे॑भिर्देव॒यन्तो॑ अश्विनाऽऽश्रा॒वय॑न्त इव॒ श्लोक॑मा॒यवो॑ यु॒वां ह॒व्याभ्या॒३॒॑यव॑:। यु॒वोर्विश्वा॒ अधि॒ श्रिय॒: पृक्ष॑श्च विश्ववेदसा। प्रु॒षा॒यन्ते॑ वां प॒वयो॑ हिर॒ण्यये॒ रथे॑ दस्रा हिर॒ण्यये॑ ॥

English Transliteration

yuvāṁ stomebhir devayanto aśvināśrāvayanta iva ślokam āyavo yuvāṁ havyābhy āyavaḥ | yuvor viśvā adhi śriyaḥ pṛkṣaś ca viśvavedasā | pruṣāyante vām pavayo hiraṇyaye rathe dasrā hiraṇyaye ||

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Pad Path

यु॒वाम्। सोमे॑भिः। दे॒व॒ऽयन्तः॑। अ॒श्वि॒ना॒। आ॒श्रा॒वय॑न्तःऽइव। श्लोक॑म्। आ॒यवः॑। यु॒वाम्। ह॒व्या। अ॒भि। आ॒यवः॑। यु॒वोः। विश्वाः॑। अधि॑। श्रियः॑। पृक्षः॑। च॒। वि॒श्व॒ऽवे॒द॒सा॒। प्रु॒षा॒यन्ते॑। वा॒म्। प॒वयः॑। हि॒र॒ण्यये॑। रथे॑। द॒स्रा॒। हि॒र॒ण्यये॑ ॥ १.१३९.३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:139» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:2» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:20» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वानों के विषय में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अश्विना) विद्या और न्याय का प्रकाश करनेवाले विद्वानो ! (श्लोकम्) तुम्हारे यश का (आश्रावयन्त इव) सब ओर से श्रवण करते हुए से (स्तोमेभिः) स्तुतियों से (युवाम्) तुम्हारी (देवयन्तः) कामना करते हुए जन (युवाम्) तुम्हारे (अभि) सम्मुख (हव्या) लेने योग्य होम के पदार्थों को (आयवः) प्राप्त हुए, फिर केवल इतना ही नहीं किन्तु हे (दस्रा) दुःख दूर करनेहारे (विश्ववेदसा) समग्र ज्ञानयुक्त उक्त विद्वानो ! जैसे (वाम्) तुम्हारे (हिरण्यये) सुवर्णमय (रथे) विहार की सिद्धि करनेवाले रथ में (पवयः) चाक वा पहिये के समान (प्रुषायन्ते) मधुरपने आदि को भरते हैं वैसे (युवोः) तुम्हारे सहाय से (हिरण्यये) सुवर्णमय रथ में (विश्वाः) समग्र (अधि) अधिक (श्रियः) सम्पत्तियों को (च) और (पृक्षः) अन्नादि पदार्थों को (आयवः) प्राप्त हुए हैं ॥ ३ ॥
Connotation: - जो पूर्ण विद्या की प्राप्ति निमित्त विद्वानों का आश्रय करते हैं, वे धन-धान्य और ऐश्वर्य आदि पदार्थों से पूर्ण होते हैं ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह ।

Anvay:

हे अश्विना श्लोकमाश्रावयन्त इव स्तोमेभिर्युवां देवयन्तो जना युवामभि हव्यायवो न केवलमेतदेवापि तु हे दस्रा विश्ववेदसा यथा वां हिरण्यये रथे पवयः प्रुषायन्ते तथा युवोः सहायेन हिरण्यये रथे विश्वा अधिश्रियः पृक्षश्चायवोऽभूवन् ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (युवाम्) (स्तोमेभिः) स्तुतिभिः (देवयन्तः) कामयमानाः (अश्विना) विद्यान्यायप्रकाशकौ (आश्रावयन्त इव) समन्तात् श्रवणं कारयन्त इव (श्लोकम्) युवयोर्यशः (आयवः) प्राप्नुवन्तः (युवाम्) (हव्या) आदातुमर्हाणि होमद्रव्याणि (अभि) (आयवः) (युवोः) युवयोः (विश्वाः) अखिलाः (अधि) अधिकाः (श्रियः) लक्ष्म्यः (पृक्षः) अन्नम् (च) (विश्ववेदसा) विश्वं वेदो ज्ञानं ययोस्तौ (प्रुषायन्ते) मधूनि स्रवन्ति (वाम्) युवयोः (पवयः) चक्राणि (हिरण्यये) सुवर्णमये (रथे) रमणसाधने याने (दस्रा) दुःखोपक्षेतारौ (हिरण्यये) सुवर्णमये ॥ ३ ॥
Connotation: - ये पूर्णविद्यावाप्तौ विद्वांसावाश्रयन्ति ते धनधान्यैश्वर्य्यैः पूर्णा जायन्ते ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे पूर्ण विद्येच्या प्राप्तीसाठी विद्वानांचा आश्रय घेतात त्यांना धनधान्य व ऐश्वर्य इत्यादी पदार्थ पूर्णपणे प्राप्त होतात. ॥ ३ ॥