नक्तो॒षासा॑ सु॒पेश॑सा॒ऽस्मिन्य॒ज्ञ उप॑ ह्वये। इ॒दं नो॑ ब॒र्हिरा॒सदे॑॥
naktoṣāsā supeśasāsmin yajña upa hvaye | idaṁ no barhir āsade ||
नक्तो॒षासा॑। सु॒ऽपेश॑सा। अ॒स्मिन्। य॒ज्ञे। उप॑। ह्व॒ये॒। इ॒दम्। नः॒। ब॒र्हिः। आ॒ऽसदे॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
उक्त कर्म से दिनरात सुख होता है, सो अगले मन्त्र में प्रकाशित किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
तत्रैतेनाहोरात्रे सुखं भवतीत्युपदिश्यते।
अहमस्मिन् गृहे यज्ञे सुपेशसौ नक्तोषसावुपह्वय उपस्पर्द्धे, यतो नोऽस्माकमिदं बर्हिरासदे भवेत्॥७॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A