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उपो॑प मे॒ परा॑ मृश॒ मा मे॑ द॒भ्राणि॑ मन्यथाः। सर्वा॒हम॑स्मि रोम॒शा ग॒न्धारी॑णामिवावि॒का ॥

English Transliteration

upopa me parā mṛśa mā me dabhrāṇi manyathāḥ | sarvāham asmi romaśā gandhārīṇām ivāvikā ||

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Pad Path

उप॑ऽउप। मे॒। परा॑। मृ॒श॒। मा। मे॒। द॒भ्राणि॑। म॒न्य॒थाः॒। सर्वा॑। अ॒हम्। अ॒स्मि॒। रो॒म॒शा। ग॒न्धारी॑णाम्ऽइव। अ॒वि॒का ॥ १.१२६.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:126» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:1» Varga:11» Mantra:7 | Mandal:1» Anuvak:18» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर रानी क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे पति राजन् ! जो (अहम्) मैं (गन्धारीणाम् इव) पृथिवी के राज्यधारण करनेवालियों में जैसे (अविका) रक्षा करनेवाली होती वैसे (रोमशा) प्रशंसित रोमोंवाली (सर्वा) सब प्रकार की (अस्मि) हूँ उस (मे) मेरे गुणों को (परा, मृश) विचारो (मे) मेरे (दभ्राणि) कामों को छोटे (मा, उपोप) अपने पास में मत (मन्यथाः) मानो ॥ ७ ॥
Connotation: - रानी राजा के प्रति कहे कि मैं आप से न्यून नहीं हूँ, जैसे आप पुरुषों के न्यायाधीश हो, वैसे मैं स्त्रियों का न्याय करनेवाली होती हूँ, और जैसे पहिले राजा-महाराजाओं की स्त्री प्रजास्थ स्त्रियों की न्याय करनेवाली हुई, वैसे मैं भी होऊँ ॥ ७ ॥इस सूक्त में राजाओं के धर्म का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछले सूक्त के अर्थ के साथ एकता है, यह जानना चाहिये ॥यह एकसौ छब्बीसवाँ सूक्त, ग्यारहवाँ वर्ग और अठारहवाँ अनुवाक समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राज्ञी किं कुर्यादित्याह ।

Anvay:

हे पते राजन् याऽहं गन्धारीणामिवाविका रोमशा सर्वास्मि तस्या मे गुणान् परा मृश मे दभ्राणि कर्माणि मोपोप मन्यथाः ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (उपोप) अतिसमीपत्वे (मे) मम (परा) (मृश) विचारय (मा) निषेधे (मे) मम (दभ्राणि) अल्पानि कर्माणि (मन्यथाः) जानीयाः (सर्वा) (अहम्) (अस्मि) (रोमशा) प्रशस्तलोमा (गन्धारीणामिव) यथा पृथिवीराज्यधर्त्रीणां मध्ये (अविका) रक्षिका ॥ ७ ॥
Connotation: - राज्ञी राजानं प्रति ब्रूयादहं भवतो न्यूना नास्मि, यथा भवान् पुरुषाणां न्यायाधीशोऽस्ति तथाऽहं स्त्रीणां न्यायकारिणी भवामि, यथा पूर्वा राजपत्न्यः प्रजास्थानां स्त्रीणां न्यायकारिण्योऽभूवन् तथाहमपि स्याम् ॥ ७ ॥अत्र राजधर्मवर्णनादेतत्सूक्तार्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिरस्तीति वेदितव्यम् ॥इति षड्विंशत्युत्तरं शततमं सूक्तमेकादशो वर्गोऽष्टादशोऽनुवाकश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - राणीने राजाला म्हणावे की, मी तुमच्यापेक्षा कमी नाही. जसे तुम्ही पुरुषांचे न्यायाधीश आहात. तशी मी स्त्रियांचा न्याय करणारी आहे व जसे पूर्वीचे राजे महाराजे व राण्या प्रजेचा न्याय करणारे होते, तशीच मी होईन. ॥ ७ ॥