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ताँ उ॑श॒तो वि बो॑धय॒ यद॑ग्ने॒ यासि॑ दू॒त्य॑म्। दे॒वैरास॑त्सि ब॒र्हिषि॑॥

English Transliteration

tām̐ uśato vi bodhaya yad agne yāsi dūtyam | devair ā satsi barhiṣi ||

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Pad Path

तान्। उ॒श॒तः। वि। बो॒ध॒य॒। यत्। अ॒ग्ने॒। यासि॑। दू॒त्य॑म्। दे॒वैः। आ। स॒त्सि॒। ब॒र्हिषि॑॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:12» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:1» Varga:22» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अगले मन्त्र में भौतिक अग्नि के गुणों का उपदेश किया है-

Word-Meaning: - यह (अग्ने) अग्नि (यत्) जिस कारण (बर्हिषि) अन्तरिक्ष में (देवैः) दिव्य पदार्थों के संयोग से (दूत्यम्) दूत भाव को (आयासि) सब प्रकार से प्राप्त होता है, (तान्) उन दिव्य गुणों को (विबोधय) विदित करानेवाला होता और उन पदार्थों के (सत्सि) दोषों का विनाश करता है, इससे सब मनुष्यों को विद्यासिद्धि के लिये इस अग्नि की ठीक-ठीक परीक्षा करके प्रयोग करना चाहिये॥४॥
Connotation: - परमेश्वर आज्ञा देता है कि-हे मनुष्यो ! यह अग्नि तुम्हारा दूत है, क्योंकि हवन किये हुए परमाणुरूप पदार्थों को अन्तरिक्ष में पहुँचाता और उत्तम-उत्तम भोगों की प्राप्ति का हेतु है। इससे सब मनुष्यों को अग्नि के जो प्रसिद्ध गुण हैं, उनको संसार में अपने कार्य्यों की सिद्धि के किये अवश्य प्रकाशित करना चाहिये॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निगुणा उपदिश्यन्ते।

Anvay:

योऽग्निर्यद्यस्माद् बर्हिषि देवैः सह दूत्यमायासि समन्ताद्याति, तानुशतो विबोधय विबोधयति, तेषां दोषान्सत्सि हन्ति, तस्मादेतैरयं विद्यासिद्धये सर्वथा सर्वदा परीक्ष्य सम्प्रयोजनीयोऽस्ति॥४॥

Word-Meaning: - (तान्) दिव्यान् गुणान् (उशतः) कामितान्। अत्र कृतो बहुलमिति कर्मणि लटः स्थाने शतृप्रत्ययः। (वि) विविधार्थे। व्यपेत्येतस्य प्रातिलोम्यं प्राह। (निरु०१.३) (बोधय) बोधयति। अत्र व्यत्ययः। (यत्) यस्मात् (अग्ने) अग्निः (यासि) याति। अत्र पुरुषव्यत्ययः। (दूत्यम्) दूतस्य कर्म। दूतस्य भागकर्मणी। (अष्टा०४.४.१२१) अनेन दूतशब्दाद्यत्प्रत्ययः। (देवैः) दिव्यैः पदार्थैः सह (आ) समन्तात् (सत्सि) दोषान् हिनस्ति। अयं ‘विशरणार्थे षद्लृ धातोः’ प्रयोगः पुरुषव्यत्ययश्च। (बर्हिषि) अन्तरिक्षे॥४॥
Connotation: - जगदीश्वर आज्ञापयति-अयमग्निर्युष्माकं दूतोऽस्ति। कुतः? हुतान् दिव्यान् परमाणुरूपान् पदार्थानन्तरिक्षे गमयतीत्यतः, उत्तमानां भोगानां प्रापकत्वात्। तस्मात्सर्वैर्मनुष्यैः प्रसिद्धाः प्रसिद्धस्याग्नेर्गुणाः कार्य्यार्थे नित्यं प्रकाशनीया इति॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - परमेश्वर आज्ञा देतो की - हे माणसांनो ! हा अग्नी तुमचा दूत आहे. कारण हवन केलेल्या परमाणूरूपी पदार्थांना तो अंतरिक्षात पोहोचवितो व उत्तम भोगाच्या प्राप्तीचा हेतू आहे. त्यामुळे सर्व माणसांनी अग्नीच्या प्रसिद्ध गुणांना आपल्या कार्याच्या सिद्धीसाठी या जगात अवश्य प्रकाशित केले पाहिजे. ॥ ४ ॥