Go To Mantra

यु॒वं श्वे॒तं पे॒दव॒ इन्द्र॑जूतमहि॒हन॑मश्विनादत्त॒मश्व॑म्। जो॒हूत्र॑म॒र्यो अ॒भिभू॑तिमु॒ग्रं स॑हस्र॒सां वृष॑णं वी॒ड्व॑ङ्गम् ॥

English Transliteration

yuvaṁ śvetam pedava indrajūtam ahihanam aśvinādattam aśvam | johūtram aryo abhibhūtim ugraṁ sahasrasāṁ vṛṣaṇaṁ vīḍvaṅgam ||

Mantra Audio
Pad Path

यु॒वम्। श्वे॒तम्। पे॒दवे॑। इन्द्र॑ऽजूतम्। अ॒हि॒ऽहन॑म्। अ॒श्वि॒ना॒। अ॒द॒त्त॒म्। अश्व॑म्। जो॒हूत्र॑म्। अ॒र्यः। अ॒भिऽभू॑तिम्। उ॒ग्रम्। स॒ह॒स्र॒ऽसाम्। वृष॑णम्। वी॒ळुऽअ॑ङ्गम् ॥ १.११८.९

Rigveda » Mandal:1» Sukta:118» Mantra:9 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:19» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:9


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बिजुली की विद्या को स्त्री-पुरुष ग्रहण करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (अश्विना) यज्ञादि कर्म करानेवाली स्त्री और समस्त लोकों के अधिपति पुरुष ! (युवम्) तुम दोनों (पेदवे) जाने-आने के लिये जो (अर्य्यः) सबका स्वामी सब सभाओं का प्रधान राजा (इन्द्रजूतम्) सभाध्यक्ष राजा ने प्रेरणा किये (जोहूत्रम्) अत्यन्त ईर्ष्या करते वा शत्रुओं को घिसते हुए (वृषणम्) शत्रुओं की सेना पर शस्त्र और अस्त्रों की वर्षा करानेवाले (वीड्वङ्गम्) बली, पोढ़े अङ्गों से युक्त (उग्रम्) दुष्ट शत्रुजनों से नहीं सहे जाते (अभिभूतिम्) और शत्रुओं का तिरस्कार करने (सहस्रसाम्) वा हजारों कामों को सेवनेवाले (श्वेतम्) सुपेद (अश्वम्) सभों में व्याप्त बिजुली रूप आग को (अहिहनम्) मेघ के छिन्न-भिन्न करनेवाले सूर्य्य के समान तुम दोनों के लिये देता है, उसके लिये निरन्तर सुख (अदत्तम्) देओ ॥ ९ ॥
Connotation: - जैसे सूर्य्य मेघ को वर्षा के सब प्रजा के लिये सुख देता है, वैसे शिल्पविद्या के जाननेवाले स्त्री-पुरुष समस्त प्रजा के लिये सुख देवें और अपने बीच में जो अतिरथी वीर स्त्री-पुरुष हैं, उनका सदा सत्कार करें ॥ ९ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्युद्विद्यां दम्पती गृह्णीयातामित्याह ।

Anvay:

हे अश्विना युवं युवां पेदवेऽर्य्यो य इन्द्रजूतं जोहूत्रं वृषणं वीड्वङ्गमुग्रमभिभूतिं सहस्रसां श्वेतमश्वमहिहनमिव युवाभ्यां ददाति तस्मै सततं सुखमदत्तम् ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (युवम्) (श्वेतम्) (पेदवे) गमनागमनाय (इन्द्रजूतम्) सभाध्यक्षेण प्रेरितम् (अहिहनम्) मेघहन्तारं सूर्य्यमिव (अश्विना) पत्नीसर्वलोकाधिपती (अदत्तम्) दद्यातम् (अश्वम्) व्यापनशीलम् (जोहूत्रम्) अतिशयेन स्पर्धितम् (अर्य्यः) सर्वस्वामी सर्वसभाध्यक्षो राजा (अभिभूतिम्) शत्रूणां तिरस्कर्त्तारम् (उग्रम्) दुष्टः शत्रुभिरसहम् (सहस्रसाम्) सहस्राणि कार्य्याणि सनति संभजति यस्तम् (वृषणम्) शत्रुसेनाया उपरि शस्त्रास्त्रवर्षानिमित्तम् (वीड्वङ्गम्) वीडूनि बलयुक्तानि दृढान्यङ्गानि यस्य तम् ॥ ९ ॥
Connotation: - यथा सूर्य्यो मेघं वर्षयित्वा सर्वस्यै प्रजायै सुखं ददाति तथा शिल्पविद्याविदः स्त्रीपुरुषा अखिलप्रजायै सुखं प्रदद्युः। स्वेषां मध्ये येऽतिरथिनो वीरस्त्रीपुरुषास्तान्सदा सत्कुर्य्युः ॥ ९ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जसा सूर्य मेघाद्वारे वृष्टी करून सर्व प्रजेला सुख देतो तसे शिल्पविद्या जाणणाऱ्या स्त्री-पुरुषांनी प्रजेला सुख द्यावे व आपल्यामध्ये जे अतिरथी वीर स्त्री-पुरुष आहेत, त्यांचा सदैव सत्कार करावा. ॥ ९ ॥