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आ वां॑ श्ये॒नासो॑ अश्विना वहन्तु॒ रथे॑ यु॒क्तास॑ आ॒शव॑: पत॑ङ्गाः। ये अ॒प्तुरो॑ दि॒व्यासो॒ न गृध्रा॑ अ॒भि प्रयो॑ नासत्या॒ वह॑न्ति ॥

English Transliteration

ā vāṁ śyenāso aśvinā vahantu rathe yuktāsa āśavaḥ pataṁgāḥ | ye apturo divyāso na gṛdhrā abhi prayo nāsatyā vahanti ||

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Pad Path

आ। वा॒म्। श्ये॒नासः॑। अ॒श्वि॒ना॒। व॒ह॒न्तु॒। रथे॑। यु॒क्तासः॑। आ॒शवः॑। प॒त॒ङ्गाः। ये। अ॒प्ऽतुरः॑। दि॒व्यासः॑। न। गृध्राः॑। अ॒भि। प्रयः॑। ना॒स॒त्या॒। वह॑न्ति ॥ १.११८.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:118» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे स्त्री-पुरुष क्या करें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (नासत्या) सत्य के साथ वर्त्तमान (अश्विना) सब विद्याओं में व्याप्त स्त्री पुरुषो ! (ये) जो (अप्तुरः) अन्तरिक्ष में शीघ्रता करने (दिव्यासः) और अच्छे खेलनेवाले (गृध्राः) गृध्र पखेरुओं के (न) समान (प्रयः) प्रीति किये अर्थात् चाहे हुए स्थान को (अभि, वहन्ति) सब ओर से पहुँचाते हैं वे (श्येनासः) वाज पखेरू के समान चलने (पतङ्गाः) सूर्य के समान निरन्तर प्रकाशमान (आशवः) और शीघ्रतायुक्त घोड़ों के समान अग्नि आदि पदार्थ (रथे) विमानादि रथ में (युक्तासः) युक्त किये हुए (वाम्) तुम दोनों को (आ, वहन्ति) पहुँचाते हैं ॥ ४ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे स्त्री-पुरुषो ! जैसे आकाश में अपने पङ्खों से उड़ते हुए गृध्र आदि पखेरू सुख से आते-जाते हैं, वैसे ही तुम अच्छे सिद्ध किये विमान आदि यानों से अन्तरिक्ष में आओ-जाओ ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ किं कुर्यातामित्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे नासत्याश्विना येऽप्तुरो दिव्यासो गृध्रा नेव प्रयोऽभि वहन्ति ते श्येनासः पतङ्गा आशवो रथे युक्तासः सन्तो वामावहन्ति ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (आ) (वाम्) युवयोः (श्येनासः) श्येन इव गन्तारः (अश्विना) (वहन्तु) प्रापयन्तु (रथे) (युक्तासः) संयोजिताः (आशवः) शीघ्रगामिनोऽश्वा इवाग्न्यादयः। आशुरित्यश्वना०। निघं० १। १४। (पतङ्गाः) सूर्य्य इव देदीप्यमानाः (ये) (अप्तुरः) अप्स्वन्तरिक्षे त्वरन्ति ते (दिव्यासः) दिवि क्रीडायां साधवः (न) इव (गृध्राः) पक्षिणः (अभि) (प्रयः) प्रियमाणं स्थानम् (नासत्या) (वहन्ति) प्रापयन्ति ॥ ४ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। हे स्त्रीपुरुषा यथाकाशे स्वपक्षाभ्यामुड्डीयमाना गृध्रादयः पक्षिणः सुखेन गच्छन्त्यागच्छन्ति तथैव यूयं सुसाधितैर्विमानादिभिर्यानैरन्तरिक्षे गच्छतागच्छत ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे स्त्री-पुरुषांनो! जसे आकाशात आपल्या पंखाने उडणारे गृध इत्यादी पक्षी सुखाने संचार करतात, तसेच तुम्ही चांगल्या प्रकारे तयार केलेल्या. विमान इत्यादी यानांद्वारे अंतरिक्षात येणे जाणे करा. ॥ ४ ॥