Go To Mantra

यु॒वं श्यावा॑य॒ रुश॑तीमदत्तं म॒हः क्षो॒णस्या॑श्विना॒ कण्वा॑य। प्र॒वाच्यं॒ तद्वृ॑षणा कृ॒तं वां॒ यन्ना॑र्ष॒दाय॒ श्रवो॑ अ॒ध्यध॑त्तम् ॥

English Transliteration

yuvaṁ śyāvāya ruśatīm adattam mahaḥ kṣoṇasyāśvinā kaṇvāya | pravācyaṁ tad vṛṣaṇā kṛtaṁ vāṁ yan nārṣadāya śravo adhyadhattam ||

Mantra Audio
Pad Path

यु॒वम्। श्यावा॑य। रुश॑तीम्। अ॒द॒त्त॒म्। म॒हः। क्षो॒णस्य॑। अ॒श्वि॒ना॒। कण्वा॑य। प्र॒ऽवाच्य॑म्। तत्। वृ॒ष॒णा॒। कृ॒तम्। वाम्। यत्। ना॒र्स॒दाय॑। श्रवः॑। अ॒धि॒ऽअध॑त्तम् ॥ १.११७.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:117» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:8


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर यहाँ राजधर्म का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ।

Word-Meaning: - हे (वृषणा) बलवान् (अश्विना) बहुत ज्ञान-विज्ञान की बातें सुने जाने हुए सभा सेनाधीशो ! (युवम्) तुम दोनों (महः) बड़े (क्षोणस्य) पढ़ानेवाले के तीर से (श्यावाय) ज्ञानी (कण्वाय) बुद्धिमान् के लिये (रुशतीम्) प्रकाश करनेवाली विद्या को (अदत्तम्) देवो तथा (यत्) जो (वाम्) तुम दोनों का (प्रवाच्यम्) भली-भाँति कहने योग्य शास्त्र (कृतम्) करने योग्य काम और (श्रवः) सुनना है (तत्) उसको तथा (नार्सदाय) उत्तम-उत्तम व्यवहारों में मनुष्य आदि को पहुँचानेहारे जनों में स्थित होते हुए के लड़के को (अध्यधत्तम्) अपने पर धारण करो ॥ ८ ॥
Connotation: - सभाध्यक्ष पुरुष से जिस प्रकार का उपदेश अच्छे बुद्धिमानों के प्रति किया जाता हो, वैसा ही सब लोकों के स्वामी के लिये उपदेश करें। ऐसे ही सब मनुष्यों के प्रति वर्त्ताव करना चाहिये ॥ ८ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरत्र राजधर्ममाह ।

Anvay:

हे वृषणाऽश्विना युवं युवां महः क्षोणस्य सकाशाच्छ्यावाय कृण्वाय रुशतीमदत्तम्। यद्वां युवयोः प्रवाच्यं कृतं श्रवोऽस्ति तन्नार्सदायाध्यधत्तम् ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (युवम्) युवाम् (श्यावाय) ज्ञानिने। श्यैङ्धातोरौणादिको वन्। (रुशतीम्) प्रकाशिकां विद्याम् (अदत्तम्) दद्यातम् (महः) महतः (क्षोणस्य) अध्यापकस्य (अश्विना) बहुश्रुतौ (कण्वाय) मेधाविने (प्रवाच्यम्) प्रकर्षेण वक्तुं योग्यं शास्त्रम् (तत्) (वृषणा) बलिष्ठौ (कृतम्) कर्त्तव्यम् कर्म (वाम्) युवयोः (यत्) (नार्सदाय) नृषु नायकेषु सीदति तदपत्याय। (श्रवः) श्रवणम् (अध्यधत्तम्) उपरि धरतम् ॥ ८ ॥
Connotation: - सभाध्यक्षेण यादृश उपदेशो धीमतः प्रति क्रियेत तादृश एव सर्वलोकाधीशायोपदिशेत्। एवमेव सर्वान् मनुष्यान् प्रति वर्त्तितव्यम् ॥ ८ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सभाध्यक्षाकडून ज्या प्रकारचा उपदेश चांगल्या बुद्धिमानांसाठी केला जातो तसाच सर्व लोकांच्या स्वामीसाठी करावा. असाच व्यवहार सर्व माणसांसाठी करावा. ॥ ८ ॥