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हिर॑ण्यहस्तमश्विना॒ ररा॑णा पु॒त्रं न॑रा वध्रिम॒त्या अ॑दत्तम्। त्रिधा॑ ह॒ श्याव॑मश्विना॒ विक॑स्त॒मुज्जी॒वस॑ ऐरयतं सुदानू ॥

English Transliteration

hiraṇyahastam aśvinā rarāṇā putraṁ narā vadhrimatyā adattam | tridhā ha śyāvam aśvinā vikastam uj jīvasa airayataṁ sudānū ||

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Pad Path

हिर॑ण्यऽहस्तम्। अ॒श्वि॒ना॒। ररा॑णा। पु॒त्रम्। न॒रा॒। व॒ध्रि॒ऽम॒त्याः। अ॒द॒त्त॒म्। त्रिधा॑। ह॒। श्याव॑म्। अ॒श्वि॒ना॒। विऽक॑स्तम्। उत्। जी॒वसे॑। ऐ॒र॒य॒त॒म्। सु॒दा॒नू॒ इति॑ सुऽदानू ॥ १.११७.२४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:117» Mantra:24 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:24


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अध्यापक का कृत्य अगले मन्त्र में कहते हैं ।

Word-Meaning: - हे (रराणा) उत्तम गुणों के देने (नरा) श्रेष्ठ पदार्थों की प्राप्ति कराने और (अश्विना) रक्षा आदि कर्मों में व्याप्त होनेवाले अध्यापको ! तुम दोनों (हिरण्यहस्तम्) जिसके हाथ में सुवर्ण आदि धन वा हाथ के समान, विद्या और तेज आदि पदार्थ हैं उस (वध्रिमत्याः) वृद्धि देनेवाली विद्या की (पुत्रम्) रक्षा करनेवाले जन को मेरे लिये (अदत्तम्) देओ। हे (सुदानू) अच्छे दानशील सज्जनों के समान वर्त्तमान (अश्विना) ऐश्वर्य्ययुक्त पढ़ानेवालो ! तुम दोनों उस (श्यावम्) विद्या पाये हुए (विकस्तम्) अनेकों प्रकार शिक्षा देनेहारे मनुष्य को (जीवसे) जीवन के लिये (ह) ही (त्रिधा) तीन प्रकार अर्थात् मन, वाणी और शरीर की शिक्षा आदि के साथ (उद्, ऐरयतम्) प्रेरणा देओ अर्थात् समझाओ ॥ २४ ॥
Connotation: - पढ़ानेवाले सज्जन पुत्रों और पढ़ानेवाली स्त्रियाँ पुत्रियों को ब्रह्मचर्य्य नियम में लगाकर, इनके दूसरे विद्याजन्म को सिद्धकर, जीवन के उपाय अच्छे प्रकार सिखाय के, समय पर उनके माता-पिता को देवें और वे घर को पाकर भी उन गुरुजनों की शिक्षाओं को न भूलें ॥ २४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाध्यापककृत्यमाह ।

Anvay:

हे रराणा नरा अश्विना युवां हिरण्यहस्तं वध्रिमत्याः पुत्रं मह्यमदत्तम्। हे सुदानू अश्विना युवां तं श्यावं विकस्तं जीवसे ह किल त्रिधोदैरयतम् ॥ २४ ॥

Word-Meaning: - (हिरण्यहस्तम्) हिरण्यानि सुवर्णादीनि हस्ते यस्य यद्वा विद्यातेजांसि हस्ताविव यस्य तम् (अश्विना) ऐश्वर्यवन्तौ (रराणा) दातारौ (पुत्रम्) त्रातारम् (नरा) नेतारौ (वध्रिमत्याः) वर्धिकाया विद्यायाः (अदत्तम्) दद्यातम् (त्रिधा) त्रिभिः प्रकारैर्मनोवाक्छरीरशिक्षादिभिः सह (ह) किल (श्यावम्) प्राप्तविद्यम् (अश्विना) रक्षादिकर्मव्यापिनौ (विकस्तम्) विविधतया शासितारम् (उत्) (जीवसे) जीवितुम् (ऐरयतम्) प्रेरयतम् (सुदानू) सुष्ठुदानशीलाविव वर्त्तमानौ ॥ २४ ॥
Connotation: - अध्यापकाः पुत्रानध्यापिकाः पुत्रींश्च ब्रह्मचर्येण संयोज्य तेषां द्वितीयं विद्याजन्म संपाद्य जीवनोपायान् सुशिक्ष्य समये पितृभ्यः समर्पयेयुः। ते च गृहं प्राप्यापि तच्छिक्षां न विस्मरेयुः ॥ २४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अध्यापकांनी मुलांना व अध्यापिकांनी मुलींना ब्रह्मचर्याने वागण्यास शिकवून त्यांचा दुसरा विद्या जन्म सिद्ध करावा. जीवनाचे उपाय चांगल्या प्रकारे शिकवून योग्य वेळ येताच त्यांच्या मातापित्याला सुपूर्द करावे व त्यांनी घरी परतल्यावरही गुरूने दिलेले शिक्षण विसरता कामा नये. ॥ २४ ॥