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शु॒नम॒न्धाय॒ भर॑मह्वय॒त्सा वृ॒कीर॑श्विना वृषणा॒ नरेति॑। जा॒रः क॒नीन॑ इव चक्षदा॒न ऋ॒ज्राश्व॑: श॒तमेकं॑ च मे॒षान् ॥

English Transliteration

śunam andhāya bharam ahvayat sā vṛkīr aśvinā vṛṣaṇā nareti | jāraḥ kanīna iva cakṣadāna ṛjrāśvaḥ śatam ekaṁ ca meṣān ||

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Pad Path

शु॒नम्। अ॒न्धाय॑। भर॑म्। अ॒ह्व॒य॒त्। सा। वृ॒कीः। अ॒श्वि॒ना॒। वृ॒ष॒णा॒। नरा॑। इति॑। जा॒रः। क॒नीनः॑ऽइव। च॒क्ष॒दा॒नः। ऋ॒ज्रऽअ॑श्वः। श॒तम्। एक॑म्। च॒। मे॒षान् ॥ १.११७.१८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:117» Mantra:18 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:16» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:17» Mantra:18


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राज-विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (वृषणा) सुख वर्षाने और (नरा) धर्म-अधर्म का विवेक करनेहारे (अश्विना) सभा सेनाधीशो ! (सा) वह (वृकीः) चोर की स्त्री (शतम्) सौ (च) और (एकम्) एक (मेषान्) भेंड़-मेढ़ों को (अह्वयत्) हाँक देकर जैसे बुलावे (इति) इस प्रकार वा (ऋज्राश्वः) सीधी चाल चलनेहारे घोड़ोंवाला (चक्षदानः) जिससे कि विद्या वचन दिया जाता है उस (जारः) बुड्ढे वा जार कर्म करनेहारे चालाक (कनीनइव) प्रकाशमान मनुष्य के समान तुम (अन्धाय) अन्धे के लिये (भरम्) पोषण अर्थात् उसकी पालना और (शुनम्) सुख धारण करो ॥ १८ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। राजपुरुष अविद्या से अन्धे हो रहे जनों को अन्यायकारियों से, उत्तम सती स्त्रियों को लंपट वेश्याबाजों से, जैसे भेड़ियों से भेड़-बकरों को बचावें, वैसे निरन्तर बचा कर पालें ॥ १८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजविषयमाह ।

Anvay:

हे वृषणा नराऽश्विना सा वृकीः शतमेकं च मेषानह्वयदितीव ऋज्राश्वश्चक्षदानो जारः कनीनइव युवामन्धाय भरं शुनमधत्तम् ॥ १८ ॥

Word-Meaning: - (शुनम्) सुखम् (अन्धाय) चक्षुर्हीनाय (भरम्) पोषणम् (अह्वयत्) उपदिशेत् (सा) (वृकीः) स्तेनस्त्री। अत्र सुपां० इति सोः स्थाने सुः। (अश्विना) सभासेनेशौ (वृषणा) सुखवर्षकौ (नरा) (इति) प्रकारार्थे (जारः) व्यभिचारी वृद्धो वा (कनीनइव) यथा प्रकाशमानो जनः (चक्षदानः) चक्षो विद्यावचो दीयते येन सः (ऋज्राश्वः) ऋजुगतिमदश्वः पुरुषः (शतम्) (एकम्) (च) समुच्चये (मेषान्) अवीन् ॥ १८ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। राजपुरुषा अविद्यान्धान् जनानन्यायकारिणां सकाशात्सतीः स्त्रीर्जाराणां संबन्धाद्वृकाणां सकाशादजाइव विमोच्य सततं पालयेयुः ॥ १८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे लांडग्यापासून शेळ्या-मेंढ्यांना वाचविले जाते तसे राजपुरुषांनी अविद्येने अंध झालेल्या लोकांना अन्याय करणाऱ्या लोकांपासून वाचवावे व लंपट वेश्यागामी वृत्तींच्या पुरुषापासून सात्त्विक स्त्रियांना वाचवून त्यांचे पालन करावे. ॥ १८ ॥