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मा न॑स्तो॒के तन॑ये॒ मा न॑ आ॒यौ मा नो॒ गोषु॒ मा नो॒ अश्वे॑षु रीरिषः। वी॒रान्मा नो॑ रुद्र भामि॒तो व॑धीर्ह॒विष्म॑न्त॒: सद॒मित्त्वा॑ हवामहे ॥

English Transliteration

mā nas toke tanaye mā na āyau mā no goṣu mā no aśveṣu rīriṣaḥ | vīrān mā no rudra bhāmito vadhīr haviṣmantaḥ sadam it tvā havāmahe ||

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Pad Path

मा। नः॒। तो॒के। तन॑ये। मा। नः॒। आ॒यौ। मा। नः॒। गोषु॑। मा। नः॒। अश्वे॑षु। रि॒रि॒षः॒। वी॒रान्। मा। नः॒। रु॒द्र॒। भा॒मि॒तः। व॒धीः॒। ह॒विष्म॑न्तः। सद॑म्। इत्। त्वा॒। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥ १.११४.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:114» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:16» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजजन कैसे वर्त्तें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (रुद्र) दुष्टों को रुलानेहारे सभापति ! (हविष्मन्तः) जिनके प्रशंसायुक्त संसार के उपकार करने के काम हैं, वे हम लोग जिस कारण (सदम्) स्थिर वर्त्तमान ज्ञान को प्राप्त (त्वाम्, इत्) आप ही को (हवामहे) अपना करते हैं, इससे (भामितः) क्रोध को प्राप्त हुए आप (नः) हम लोगों के (तोके) उत्पन्न हुए बालक वा (तनये) बालिकाईं से जो ऊपर है, उस बालक में (मा) (रीरिषः) घात मत करो (नः) हम लोगों के (आयौ) जीवन विषय में (मा) मत हिंसा करो (नः) हम लोगों के (गोषु) गौ आदि पशुसंघात में (मा) मत घात करो (नः) हम लोगों के (अश्वेषु) घोड़ों में (मा) घात मत करो (नः) हमारे (वीरान्) वीरों को (मा) मत (वधीः) मारो ॥ ८ ॥
Connotation: - क्रोध को प्राप्त हुए सज्जन राजपुरुषों को किसी का अन्याय से हनन न करना चाहिये और गौ आदि पशुओं की सदा रक्षा करनी चाहिये। प्रजाजनों को भी राजा के आश्रय से ही निरन्तर आनन्द करना चाहिये और सबों को मिलकर ईश्वर की ऐसी प्रार्थना करनी चाहिये कि हे परमेश्वर ! आपकी कृपा से हम लोग बाल्यावस्था में विवाह आदि बुरे काम करके पुत्रादिकों का विनाश कभी न करें और वे पुत्र आदि भी हम लोगों के विरुद्ध काम को न करें तथा संसार का उपकार करने हारे गौ आदि पशुओं का कभी विनाश न करें ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः राजजनाः कथं वर्त्तेरन्नित्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे रुद्र हविष्मन्तो वयं यतस्सदं त्वामिदेव हवामहे तस्माद्भामितस्त्वं नस्तोके तनये मा रीरिषो न आयौ मा रीरिषः, नो गोषु मा रीरिषः, नोऽश्वेषु मा रीरिषः, नो वीरान् मा वधीः ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (मा) (नः) अस्माकम् (तोके) सद्योजातेऽपत्ये पुत्रे (तनये) अतीतशैशवावस्थे (मा) (नः) (आयौ) जीवनविषये (मा) (नः) (गोषु) धेनुषु (मा) (नः) (अश्वेषु) वाजिषु (रीरिषः) हिंस्याः (वीरान्) (मा) (नः) अस्माकम् (रुद्र) (भामितः) क्रुद्धः सन् (वधीः) हन्याः (हविष्मन्तः) हवींषि प्रशस्तानि जगदुपकरणानि कर्माणि विद्यन्ते येषां ते (सदम्) स्थिरं वर्त्तमानं ज्ञानमाप्तम् (इत्) एव (त्वा) त्वाम् (हवामहे) स्वीकुर्महे ॥ ८ ॥
Connotation: - न कदाचिद्राजपुरुषैः क्रुद्धैः कस्याप्यन्यायेन हननं कार्य्यं गवादयः पशवः सदा रक्षणीयाः, प्रजास्थैर्जनैश्च राजाश्रयेणैव निरन्तरमानन्दितव्यम्। सर्वैर्मिलित्वैवं जगदीश्वरः प्रार्थनीयश्च हे परमेश्वर भवत्कृपया वयं बाल्याऽवस्थायां विवाहादिभिः कुकर्मभिः पुत्रादीनां हिंसनं कदाचिन्न कुर्य्याम, पुत्रादयोऽप्यस्माकमप्रियं न कुर्य्युः, जगदुपकारकान् गवादीन् पशून् कदाचिन्न हिंस्यामेति ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - क्रोधित झालेल्या राजपुरुषांनी कुणाचेही अन्यायाने हनन करू नये व गाय इत्यादी पशूंचे सदैव रक्षण करावे. प्रजेलाही राजाच्या आश्रयाने निरंतर आनंदी राहिले पाहिजे व सर्वांनी मिळून ईश्वराची प्रार्थना केली पाहिजे की हे परमेश्वरा! तुझ्या कृपेने आम्ही बाल्यावस्थेत विवाह इत्यादी वाईट काम करून पुत्रांचा कधी नाश करू नये. पुत्रांनीही आमच्या विरुद्ध कधी काम करू नये व जगावर उपकार करणाऱ्या गाय इत्यादी पशूंचा कधी नाश करू नये. ॥ ८ ॥