तवा॒हं शू॑र रा॒तिभिः॒ प्रत्या॑यं॒ सिन्धु॑मा॒वद॑न्। उपा॑तिष्ठन्त गिर्वणो वि॒दुष्टे॒ तस्य॑ का॒रवः॑॥
tavāhaṁ śūra rātibhiḥ praty āyaṁ sindhum āvadan | upātiṣṭhanta girvaṇo viduṣ ṭe tasya kāravaḥ ||
तव॑। अ॒हम्। शू॒र॒। रा॒तिऽभिः॑। प्रति॑। आ॒य॒म्। सिन्धु॑म्। आ॒ऽवद॑न्। उप॑। अ॒ति॒ष्ठ॒न्त॒। गि॒र्व॒णः॒। वि॒दुः। ते॒। तस्य॑। का॒रवः॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में इन्द्र शब्द से शूरवीर के गुणों का उपदेश किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेन्द्रशब्देन शूरवीरगुणा उपदिश्यन्ते।
हे शूर! ये तव रातिभिस्त्वां सिन्धुमिवावदन् सन्नहं प्रत्यायम्। हे गिर्वणस्तव तस्य च कारवस्त्वां शूरं विदुरुपातिष्ठन्त ते सदा सुखिनो भवन्ति॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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