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तदि॑न्द्र॒ प्रेव॑ वी॒र्यं॑ चकर्थ॒ यत्स॒सन्तं॒ वज्रे॒णाबो॑ध॒योऽहि॑म्। अनु॑ त्वा॒ पत्नी॑र्हृषि॒तं वय॑श्च॒ विश्वे॑ दे॒वासो॑ अमद॒न्ननु॑ त्वा ॥

English Transliteration

tad indra preva vīryaṁ cakartha yat sasantaṁ vajreṇābodhayo him | anu tvā patnīr hṛṣitaṁ vayaś ca viśve devāso amadann anu tvā ||

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Pad Path

तत्। इ॒न्द्र॒। प्र। अव॑। वी॒र्य॑म्। च॒क॒र्थ॒। यत्। स॒सन्त॒म्। वज्रे॑ण। अबो॑धयः। अहि॑म्। अनु॑। त्वा॒। पत्नीः॑। हृ॒षि॒तम्। वयः॑। च॒। विश्वे॑। दे॒वासः॑। अ॒म॒द॒न्। अनु॑। त्वा॒ ॥ १.१०३.७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:103» Mantra:7 | Ashtak:1» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:15» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) सेनाध्यक्ष ! आप (ससन्तम्) सोते हुए वा चिन्तारहित (अहिम्) सर्प्प वा शत्रु को (यत्) जो (वज्रेण) तीक्ष्ण शस्त्र से (अबोधयः) सचेत कराते हो (तत्) सो (वीर्य्यम्) अपने बल को (प्रेव) प्रकट सा (चकर्थ) करते हो (अनु) उसके पीछे (हृषितम्) उत्पन्न हुआ है आनन्द जिनको उन (त्वा) आपको (पत्नीः) आपके स्त्री जन और (वयः) ज्ञानवान् (विश्वे) समस्त (देवासश्च) विद्वान् जन भी (त्वा) आपको (अन्वमदन्) अनुकूलता से प्रसन्न करते हैं ॥ ७ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। बलवान् सेनापति से दुष्ट जीव तथा दुष्ट शत्रुजन मारे जाते हैं ॥ ७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे इन्द्र ससन्तमहिं यद् वज्रेणाबोधयस्तद्वीर्यं प्रेव चकर्थानुहृषितं पत्नीर्वयो विश्वेदेवासश्चाऽन्वमदन् ॥ ७ ॥

Word-Meaning: - (तत्) (इन्द्र) सेनाध्यक्ष (प्रेव) प्रकटं यथा स्यात्तथा (वीर्य्यम्) स्वकीयं बलम् (चकर्थ) करोषि (यत्) (ससन्तम्) स्वपन्तं चिन्तारहितं वा (वज्रेण) तीक्ष्णशस्त्रेण (अबोधयः) बोधयसि (अहिम्) सर्प्पं शत्रुं वा (अनु) (त्वा) त्वाम् (पत्नीः) पत्न्यः (हृषितम्) जातहर्षम् (वयः) ज्ञानिनः (च) (विश्वे) अखिलाः (देवासः) विद्वांसः (अमदन्) हर्षयन्ति (अनु) (त्वा) त्वाम् ॥ ७ ॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। बलवता सेनापतिना दुष्टप्राणिनो दुष्टशत्रवश्च यथाविधि हन्यन्ते ॥ ७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. बलवान सेनापतीकडून दुष्ट जीव व दृष्ट शत्रू मारले जातात. ॥ ७ ॥