यत्सानोः॒ सानु॒मारु॑ह॒द्भूर्यस्प॑ष्ट॒ कर्त्व॑म्। तदिन्द्रो॒ अर्थं॑ चेतति यू॒थेन॑ वृ॒ष्णिरे॑जति॥
yat sānoḥ sānum āruhad bhūry aspaṣṭa kartvam | tad indro arthaṁ cetati yūthena vṛṣṇir ejati ||
यत्। सानोः॑। सानु॑म्। आ। अरु॑हत्। भूरि॑। अस्प॑ष्ट। कर्त्व॑म्। तत्। इन्द्रः॑। अर्थ॑म्। चे॒त॒ति॒। यू॒थेन॑। वृ॒ष्णिः। ए॒ज॒ति॒॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर भी ईश्वर को कैसे जानें, सो अगले मन्त्र में प्रकाश किया है-
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स कथं वेदितव्य इत्युपदिश्यते।
यूथेन वायुगणेन सह वृष्णिः सूर्य्यकिरणसमूहः सानोः सानुं भूर्यारुहत् स्पशते राजति चलति चालयति वा, यो मनुष्यो यत्सानोः सानुं कर्मणः कर्मत्वं भूर्यारुहत्, अस्पष्टैजति तस्मै इन्द्रः परमात्मा तत्तस्मात् सानोः सानुमर्थं भूरि चेतति ज्ञापयति॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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