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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मनुष्य धर्म का उपदेश।
Word-Meaning: - (यज्ञपते) हे पूजनीय व्यवहार के पालनेवाले पुरुष ! (एषः) यह (ते) तेरा (यज्ञः) पूजनीय व्यवहार (स्वाहा) सुन्दर वाणी [वेदवाणी] द्वारा (सहसूक्तवाकः) सुन्दर वचनों के उपदेशों के सहित (सुवीर्यः) बड़े वीरत्ववाला [होवे] ॥६॥
Connotation: - मनुष्य वेदमन्त्रों के मनन और उपदेश से अपना पराक्रम बढ़ावें ॥६॥ यह मन्त्र कुछ भेद से यजुर्वेद में है−८।२२ ॥
Footnote: ६−(एषः) (ते) तव (यज्ञः) पूजनीयो व्यवहारः (यज्ञपते) पूजनीयो व्यवहारस्य पालक (सहसूक्तवाकः) सह+सु+उक्त+वच परिभाषणे-घञ्। शोभनानां मुक्तानां वचनानां वाकैर्भाषणैः सहितः (सुवीर्यः) उत्तमपराक्रमयुक्तः (स्वाहा) सुवाण्या ॥