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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
ईश्वर के नियम का उपदेश।
Word-Meaning: - (राजन्) हे राजन् ! (वरुण) हे सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर ! (ते) तेरा (हिरण्ययः) तेजोमय (ग्रहः) ग्रहण सामर्थ्य (अप्सु) सब प्राणों में (मिथः) एक दूसरे के साथ [वर्तमान है]। (ततः) उसी से (धृतव्रतः) नियमों के धारण करनेवाले (राजा) राजा आप (सर्वा) सब (धामानि) बन्धनों को (मुञ्चतु) खोल देवें ॥१॥
Connotation: - मनुष्य प्रकाशस्वरूप, सर्वव्यापक परमेश्वर की उपासना से पापों को छोड़, धर्म में प्रवृत्त होकर क्लेशों से मुक्त होवें ॥१॥
Footnote: १−(अप्सु) आपः प्राणाः−दयानन्दभाष्ये यजु० २०।१८। प्राणेषु (ते) तव (राजन्) ऐश्वर्यवन् (वरुण) सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर (ग्रहः) ग्रहणसामर्थ्यम् (हिरण्ययः) अ० ४।२।८। तेजोमयः (मिथः) मिथ ज्ञाने-असुन् स च कित्। परस्परम् (ततः) तस्मात् कारणात् (धृतव्रतः) नियमधारकः (राजा) शासकः (सर्वा) सर्वाणि (धामानि) दधातेर्मनिन्। धीयन्ते बध्यन्ते। बन्धनानि (मुञ्चतु) मोचयतु ॥