सूर्य, चन्द्रमा के लक्षणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (चन्द्रमः) हे चन्द्रमा ! तू [शुक्लपक्ष में] (नवोनवः) नया-नया (जायमानः) प्रकट होता हुआ (भवसि) रहता है, और (अह्नाम्) दिनों का (केतुः) जतानेवाला तू (उषसाम्) उषाओं [प्रभातवेलाओं] के (अग्रम्) आगे (एषि) चलता है। और (आयन्) आता हुआ तू (देवेभ्यः) उत्तम पदार्थों को (भागम्) सेवनीय उत्तम गुण (वि दधासि) विविध प्रकार देता है, और (दीर्घम्) लम्बे (आयुः) जीवनकाल को (प्र) अच्छे प्रकार (तिरसे) पार लगाता है ॥२॥
Connotation: - चन्द्रमा शुक्लपक्ष में एक-एक कला बढ़कर नया-नया होता है और दिनों, अर्थात् प्रतिप्रदा आदि चान्द्र तिथियों को बनाता है। और पृथिवी के पदार्थों में जीवनशक्ति देकर पुष्टिकारक होता है ॥२॥ भगवान् यास्क का मत है-निरु० ११।६।नया-नया प्रकट होता हुआ-यह शुक्लपक्ष के आरम्भ से अभिप्राय है। दिनों को जतानेवाला उषाओं के आगे चलता है, यह कृष्णपक्ष की समाप्ति से अभिप्राय है। कोई कहते हैं कि दूसरा पाद सूर्य देवता का है ॥