Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
शारीरिक और मानसिक रोग हटाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (लोहिनीनाम्) रक्तवर्ण (अपचिताम्) गण्डमाला आदि रोगों की (माता) माता (कृष्णा) काले रंगवाली है, (इति) यह (शुश्रुम) हमने सुना है। (अहम्) मैं (मुनेः) मननशील (देवस्य) विद्वान् वैद्य के (मूलेन) मूल ग्रन्थ से (ताः सर्वाः) उन सबको (विध्यामि) छेदता हूँ ॥१॥
Connotation: - गण्डमाला आदि चर्म रोगों में पहिले काले धब्बे पड़ते, फिर रक्त वर्ण हो जाते हैं, सद्वैद्य बड़े-बड़े वैद्यों के मूल्य ग्रन्थों से कारण समझकर उनका छेदन आदि करे, इसी प्रकार मनुष्य आत्मदोषों को हटावे ॥१॥ (मूल) ओषधि विशेष भी है, जिसे पीपलामूल कहते हैं ॥ इस सूक्त का मिलान अ० सू० ६।८३। से करो ॥
Footnote: १−(अपचिताम्) अ० ६।८३।१। गण्डमालादिरोगाणाम् (लोहिनीनाम्) वर्णादनुदात्तात्तोपधात्तो नः। पा० ४।१।३९। लोहित-ङीप्, तस्य च नः। रोहिणीनां रक्तवर्णानाम् (कृष्णा) कृष्णवर्णा (माता) जननी। उत्पादयित्री (इति) एवम् (शुश्रुम) लिटि रूपम्। वयं श्रुतवन्तः (मुनेः) मनेरुच्च। उ० ४।१२३। मनु अवबोधने-इन्। मननशीलस्य (देवस्य) विदुषो वैद्यस्य (मूलेन) मूलग्रन्थेन। निदानेन (सर्वाः) समस्ताः (विध्यामि) व्यध ताडने। विदारयामि (ताः) अपचितः (अहम्) वैद्यः ॥