Go To Mantra

धा॒ता द॑धातु नो र॒यिमीशा॑नो॒ जग॑त॒स्पतिः॑। स नः॑ पू॒र्णेन॑ यच्छतु ॥

Mantra Audio
Pad Path

धाता । दधातु । न: । रयिम् । ईशान: । जगत: । पति: । स: । न: । पूर्णेन । यच्छतु ॥१८.१॥

Atharvaveda » Kand:7» Sukta:17» Paryayah:0» Mantra:1


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

गृहस्थ के कर्म का उपदेश।

Word-Meaning: - (ईशानः) ऐश्वर्यवान् (जगतः पतिः) जगत् का पालनेवाला, (धाता) धाता विधाता [सृष्टिकर्ता] (नः) हमें (रयिम्) धन (दधातु) देवे। (सः) वही (नः) हमको (पूर्णेन) पूर्ण बल से (यच्छतु) ऊँचा करे ॥१॥
Connotation: - गृहस्थ लोग जगत्पति परमात्मा के अनुग्रह से प्रयत्न करके धन और बल बढ़ाकर सुखी रहें ॥१॥
Footnote: १−(धाता) सर्वस्य विधाता-निरु० ११।१०। सृष्टिकर्ता (दधातु) ददातु (नः) अस्मभ्यम् (रयिम्) धनम् (ईशानः) ईश्वरः (जगतः) (पतिः) पालकः (सः) धाता (नः) अस्मान् (पूर्णेन) समस्तेन बलेन (यच्छतु) यम-लोट्। उद्यच्छतु। उन्नयतु ॥