Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा और मन्त्री के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (इन्द्र) हे राजन् ! (त्वा) तुझे (देवः) प्रकाशमान, (बृहस्पतिः) बड़े-बड़े लोकों के रक्षक परमेश्वर ने (चमसेन) अन्न के साथ (उप अग्रभीत्) सहारा दिया है। तू (गीर्भिः) वाणियों [स्तुतियों] के साथ (यजमानाय) संयोग-वियोग करनेवाले (सुन्वते) तत्त्वमथन करनेवाले पुरुष के लिये (नः) हम में (आ विश) प्रवेश कर ॥३॥
Connotation: - राजा को उचित है कि परमेश्वर के दिये सामर्थ्य से विवेकी धर्मात्माओं का सहाय करे ॥३॥
Footnote: ३−(उप) समीपे (त्वा) त्वां राजानम् (देवः) प्रकाशमानः (अग्रभीत्) अग्रहीत्। गृहीतवान् (चमसेन) अ० ६।४७।३। अन्नेन (बृहस्पतिः) बृहतां लोकानां पालकः परमेश्वरः (इन्द्र) प्रतापिन् राजन् (गीर्भिः) वाणीभिः। स्तुतिभिः (नः) अस्मान् (आ विश) प्रविश। प्राप्नुहि (यजमानाय) पदार्थानां संयोजकवियोजकाय (सुन्वते) तत्त्वमथनशीलाय ॥