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ओते॑ मे॒ द्यावा॑पृथि॒वी ओता॑ दे॒वी सर॑स्वती। ओतौ॑ म॒ इन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॒र्ध्यास्मे॒दं स॑रस्वति ॥

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ओते इत्याऽउते । मे । द्यावापृथिवी इति । आऽउता । देवी । सरस्वती। आऽउतौ । मे । इन्द्र: । च । अग्नि: । च । ऋध्यास्म । इदम् । सरस्वति ॥९४.३॥

Atharvaveda » Kand:6» Sukta:94» Paryayah:0» Mantra:3


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

शान्ति करने के लिये उपदेश।

Word-Meaning: - (मे) मेरे लिये (द्यावापृथिवी) सूर्य और भूलोक (ओते) बुने हुए हैं, (देवी) दिव्य गुणवाली (सरस्वती) विज्ञानवती विद्या (ओता) परस्पर बुनी हुई है। (च) और (मे) मेरे लिये (इन्द्रः) मेघ (च) और (अग्निः) अग्नि (ओतौ) परस्पर बुने हुए हैं। (सरस्वति) हे विज्ञानवती विद्या ! (इदम्) अब (ऋध्यास्म) हम श्रीमान् होवें ॥३॥
Connotation: - मनुष्य विज्ञानपूर्वक विद्या प्राप्त करके संसार के सब पदार्थों से उपकार लेकर धनी होवें ॥३॥ यह मन्त्र कुछ भेद से आ चुका है−अ० ५।२३।१ ॥
Footnote: ३−(ओते) आ+वेञ् तन्तुसन्ताने−क्त। परस्परं स्यूने। अन्तर्व्याप्ते (सरस्वती) विज्ञानवती विद्या (इन्द्रः) मेघः (ऋध्यास्म) ऋधु वृद्धौ। श्रीमन्तो भूयास्म। अन्यद् गतम्−अ० ५।२३।१ ॥