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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रोग नाश करने का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे मनुष्य !] (मनसा) मन से (जुषाणः) प्रीति करता हुआ तू (स्वाम्) अपनी (आहुतिम्) धर्म से देने लेने योग्य क्रिया को (वीहि) प्राप्त हो, (यत्) क्योंकि (स्वाहा) सुन्दर वाणी से और (मनसा) उत्तम विचार से (इदम्) ऐश्वर्य का कारण ज्ञान (जुहोमि) मैं देता हूँ ॥४॥
Connotation: - मनुष्य ईश्वर और विद्वानों के उपदेश अनुसार विचारपूर्वक पुरुषार्थ के साथ अपना कर्तव्य पालन करके प्रसन्न होवे ॥४॥
Footnote: ४−(वीहि) प्राप्नुहि (स्वाम्) स्वकीयाम्। पौरुषेण प्राप्ताम् (आहुतिम्) हु दानादनयोः−क्तिन्। समन्ताद् दातव्यग्राह्यक्रियाम् (जुषाणः) प्रीयमाणः (मनसा) अन्तःकरणेन सुविचारेण (स्वाहा) सुवाण्या (मनसा) (यत्) यस्मात्कारणात् (इदम्) इन्देः कमिन् नलोश्च। उ० ४।१५७। इदि परमेश्वर्ये−कमिन्। ऐश्वर्यहेतु ज्ञानम् (जुहोमि) ददामि। उपदिशामि ॥