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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सर्वसम्पत्ति पाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (अयम्) यह (नभसः) सूर्यलोक का (पतिः) स्वामी परमेश्वर (संस्फानः) यथावत् बढ़ता हुआ (नः) हमारे लिये (नः) हमारे (गृहेषु) घरों में (असमातिम्) असामान्य [विशेष] लक्ष्मी वा बुद्धि (अभि) सब ओर से (रक्षतु) रक्खे ॥१॥
Connotation: - मनुष्य सूर्य आदि लोकों के स्वामी परमात्मा की महिमा विचारते हुए विद्या आदि शुभ गुणों की प्राप्ति से असाधारण धन और बुद्धि पाकर आनन्द भोगें ॥१॥
Footnote: १−(अयम्) सर्वव्यापकः (नः) अस्मदर्थम् (नभसः) अ० ४।१५।३। णह बन्धने−असुन्। हस्य भः। नभ आदित्यो भवति−निरु० २।१४। सूर्यस्य (पतिः) पालयिता परमेश्वरः (संस्फानः) स्फायी वृद्धौ−क्त, छान्दसं रूपम्। सम्यक् स्फीतः प्रवृद्धः (अभि) सर्वतः (रक्षतु) पातु (असमातिम्) असेस्तिः। उ० ४।१८०। माङ् माने−ति, यद्वा, मनु अवबोधने−क्तिन्, दीर्घश्च समानस्य सः। असमानां विशेषां मां लक्ष्मीं मतिं बुद्धिं वा (गृहेषु) गेहेषु (नः) अस्माकम् ॥