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य ए॑नं परि॒षीद॑न्ति समा॒दध॑ति॒ चक्ष॑से। सं॒प्रेद्धो॑ अ॒ग्निर्जि॒ह्वाभि॒रुदे॑तु॒ हृद॑या॒दधि॑ ॥

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Pad Path

ये । एनम् । परिऽसीदन्ति । सम्ऽआदधति । चक्षसे । सम्ऽप्रेध्द: । अग्नि: । जिह्वाभि: । उत् । एतु । हृदयात् । अधि ॥७६.१॥

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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

Word-Meaning: - (ये) जो पुरुष (चक्षसे) दर्शन के लिये (एनम्) इस [अग्नि] की (परिषीदन्ति) सेवा करते और (समादधति) ध्यान करते हैं। (संप्रेद्धः) [उन करके] अच्छे प्रकार प्रकाशित किया हुआ (अग्निः) अग्नि (जिह्वाभिः) अपनी जिह्वाओं के सहित (हृदयात्) हमारे हृदय से (अधि) अधिकारपूर्वक (उदेतु) उदय होवे ॥१॥
Connotation: - जो विद्वान् सूर्य, बिजुली आदि अग्नि के गुणों को जानते हैं, उनसे अग्निविद्या प्राप्त करके मनुष्य संसार में फैलावें ॥१॥
Footnote: १−(ये) पुरुषाः (एनम्) अग्निम् (परिषीदन्ति) सेवन्ते (समादधति) समाहितं कुर्वन्ति। ध्यायन्ति (चक्षसे) दर्शनाय (संप्रेद्धः) तैः प्रकर्षेण संदीपितः (अग्निः) सूर्यविद्युदादिरूपः (जिह्वाभिः) स्वज्वालाभिः (उदेतु) उद्गच्छतु (हृदयात्) अस्माकमन्तःकरणात् (अधि) अधिकृत्य ॥