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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सेनापति के लक्षणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (शत्रवः) शत्रु लोग (निर्हस्ताः) निहत्थे (सन्तु) हो जावें, (तेषाम्) उन के (अङ्गा) अङ्गों को (म्लापयामसि) हम शिथिल करते हैं। (अथ) फिर (इन्द्र) हे महाप्रतापी सेनापति इन्द्र ! (तेषाम्) उन के (वेदांसि) सब धनों को (शतशः) सैकड़ों प्रकार से (वि भजामहै) हम बाँट लेवें ॥३॥
Connotation: - विजयी वीर पुरुष शत्रुओं को जीत कर सेनापति की आज्ञा अनुसार राजविभाग निकाल कर उनका धन बाँट लेवें ॥३॥
Footnote: ३−(निर्हस्ताः) लुप्तहस्तसामर्थ्याः (सन्तु) (शत्रवः) (अङ्गा) अङ्गानि हस्तपादादीनि (एषाम्) शत्रूणाम् (म्लापयामसि) म्लै हर्षक्षये णौ आत्वे पुगागमः। म्लापयामः। क्षीणहर्षान् शिथिलान् कुर्मः (अथ) अनन्तरम् (एषाम्) (इन्द्र) हे महाप्रतापिन् सेनापते (वेदांसि) धनानि (शतशः) शतप्रकारेण (वि भजामहै) विभज्य प्राप्नुयाम ॥