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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
सेनापति के लक्षणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (देवाः) हे विजयी लोगो ! (निर्हस्तेभ्यः) निहत्थे [निर्बल हम लोगों] के हित के लिये (नैर्हस्तम्) निहत्थे [निर्बल शत्रुओं] के ऊपर (यम्) जिस (शरुम्) बाण को (अस्यथ) तुम छोड़ते हो (अनेन) उसी ही (हविषा) ग्राह्य शस्त्र से (अहम्) मैं [प्रजागण वा राजगण] (शत्रूणाम्) शत्रुओं की (बाहून्) भुजाओं को (वृश्चामि) काटता हूँ ॥२॥
Connotation: - सब प्रजागण और राजपुरुष मिलकर शत्रुओं के नाश करने के प्रयत्न करें ॥२॥
Footnote: २−(निर्हस्तेभ्यः) निर्गतहस्तसामर्थ्येभ्यः प्रजागणेभ्यः। तेषां हितायेत्यर्थः (नैर्हस्तम्) समूहे−अण्। निर्गतहस्तसामर्थ्यानां शत्रूणां समूहं प्रति (यम्) (देवाः) विजिगीषवः पुरुषाः (शरुम्) अ० १।२।३। हिंसकं बाणाद्यायुधम् (अस्यथ) द्विकर्मकोऽयम्। क्षिपथ (वृश्चामि) छिनद्मि (शत्रूणाम्) वैरिणाम् (बाहून्) भुजान् (अनेन) निर्दिष्टेन (हविषा) ग्राह्येण शस्त्रेण (अहम्) प्रजागणो राजगणो वा ॥