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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
संगति के लाभ का उपदेश।
Word-Meaning: - (वः) तुम्हारा (आकूतिः) निश्चय, उत्साह, अथवा सङ्कल्प (समानी) एकसा और (वः) तुम्हारे (हृदयानि) हृदय [हार्दिक कर्म] (समाना) एक से होवें। (वः) तुम्हारा (मनः) मन [मनन कर्म] (समानम्) एकसा (अस्तु) होवे, (यथा) जिससे (वः) तुम्हारी (असति) गति (सुसह) बड़ा सहाय करनेवाली होवे ॥३॥
Connotation: - मनुष्य धर्म के विचारों में प्रीतिपूर्वक एकमत होकर अपने सब काम समाज द्वारा सिद्ध करके सुख बढ़ावें ॥३॥
Footnote: ३−(समानी) एकरूपा (वः) युष्माकम् (आकूतिः) अध्यवसाय उत्साह आप्तरीतिः संकल्पो वा (समाना) अविरुद्धानि (हृदयानि) हार्दिककर्माणि (वः) (समानम्) तुल्यम् (अस्तु) भवतु (वः) युष्माकम् (मनः) मननम्। सङ्कल्पविपकल्पात्मकेन्द्रियव्यापारः (यथा) येन प्रकारेण (वः) युष्माकम् (सुसह) अव्ययम्। सुष्ठु धर्मेण सह सहायिका भवतु (असति) अमेरतिः। उ० ४।५९। इति अस गतौ−अति। सुपां सुलुक्०। पा० ७।१।३९। इति विभक्तेर्लुक्। असतिः। गतिः ॥