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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
द्रोह के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - (वायोः) सर्वव्यापक परमेश्वर के [बताये हुए] (पवित्रेण) शुद्ध आचरण से (पूतः) शुद्ध किया हुआ, (प्रत्यङ्) प्रत्यक्ष पूजनीय, (अति) अति (द्रुत) शीघ्रगामी (सोमः) ऐश्वर्यवान् वा अच्छे गुणवाला पुरुष (इन्द्रस्य) परमेश्वर का (युज्यः) योगी (सखा) सखा होता है ॥१॥
Connotation: - मनुष्यों को योग्य है कि वेदविहित कर्मों को अति शीघ्र करके परमेश्वर के मित्र बन के सदा सुखी रहें ॥१॥ (वायु) शब्द परमेश्वरवाचक है−देखो [तद्वायुस्तदु चन्द्रमाः] य० ३२।१। ब्रह्म [वायुः] सर्वव्यापक और ब्रह्म ही आनन्ददाता है ॥ यह मन्त्र कुछ भेद से यजुर्वेद में है−अ० १।३१ ॥
Footnote: १−वायोः सर्वव्यापकस्य परमेश्वरस्य विज्ञापितेन−तद् यथा [तद्वायुस्तदु चन्द्रमाः] य० ३२।१। (पूत) शोधितः (पवित्रेण) शुद्धेन धर्म्माचरणेन (प्रत्यङ्) प्रत्यक्षमञ्चितः पूजितः (सोमः) ऐश्वर्यवान् सोमगुणसम्पन्नो वा (अति) अत्यन्तम् (द्रुतः) शीघ्रगामी (इन्द्रस्य) परमेश्वरस्य (युज्यः) समाहितः। योगी (सखा) मित्रम् ॥