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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
वृद्धि करने का उपदेश।
Word-Meaning: - (यथा) जैसे (देवासुराः) व्यवहार जाननेवाले बुद्धिमानों ने (उत) और (यथा) जैसे (मनुष्याः) मननशील पुरुषों ने [शुभलक्षण को] (चक्रुः) किया है। (अश्विना) हे कर्तव्यों में व्यापक माता-पिता ! (एव) वैसे ही (सहस्रपोषाय) सहस्रों प्रकार के पोषण के लिये [हम में] (लक्ष्म) शुभलक्षण (कृणुतम्) तुम करो ॥३॥
Connotation: - माता-पिता को योग्य है कि पूर्वज महात्माओं के समान अपने सन्तानों को शुभगुणी बनावे ॥३॥
Footnote: ३−(यथा) येन प्रकारेण (चक्रुः) कृतवन्तः (देवासुराः) असुरत्वं प्रज्ञावत्त्वम्−निरु० १।३४। व्यवहारिणः प्रज्ञावन्तः (यथा) (मनुष्याः) अ० ३।४।६। मननशीलाः (उत) अपि च (एव) एवम् (सहस्रपोषाय) अपरिमितवृद्धये (कृणुतम्) कुरुतम् (लक्ष्म)−म० २। शुभलक्षणम् (अश्विना) कर्तव्यव्यापकौ मातापितरौ ॥