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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
केश के बढ़ाने का उपदेश।
Word-Meaning: - (ओषधे) हे ओषधि ! तू (देव्याम्) दिव्य [प्रकाशवाली, अच्छे गुणवाली] (पृथिव्याम्) पृथिवी में (अधि) ठीक ठीक (जाता) उत्पन्न हुई (देवी) दिव्य गुणवाली (असि) है। (नितत्नि) हे नीचे को फैलनेवाली, नितत्नी ! [ओषधी विशेष] (ताम् त्वा) उस तुझ को (केशेभ्यः) केशों के (दृंहणाय) दृढ़ करने और बढ़ाने के लिये (खनामसि) हम खोदते हैं ॥१॥
Connotation: - मनुष्य नितत्नी नाम ओषधि को केश दृढ़ करने और बढ़ाने के लिये काम में लावें। काचमाची फल, जीवन्तीफल और भृङ्गराज वा भंगरा ओषधि के भी केश बढ़ाना आदि गुण हैं ॥१॥
Footnote: १−(देवी) दिव्यगुणा (देव्याम्) दिव्यगुणायाम् (अधि) अधिकम् (जाता) उत्पन्ना (पृथिव्याम्) (असि) (ओषधे) (ताम्) तादृशीम् (त्वा) (नितत्नि) आदृगमहन०। पा० ३।२।१७१। इति तनोतेः−कि, लिड्वद्भावाद् द्विर्वचनम्। तनिपत्योश्छन्दसि। पा० ६।४।९९। उपधालोपः। हे नितन्वाने न्यक्प्रसरणशीले (केशेभ्यः) केशानामर्थे (दृंहणाय) दृढीकरणाय। वर्धनाय (खनामसि) खनामः। खोडामः ॥