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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मेखना बाँधने का उपदेश।
Word-Meaning: - (याम् त्वा) जिस तुझको (पूर्वे) पहिले (भूतकृतः) सत्यकर्मी (ऋषयः) ऋषियों ने (परिबेधिरे) चारों ओर बाँधा था। (सा त्वम्) सो तू, (मेखले) हे मेखला ! (दीर्घायुत्वाय) दीर्घ आयु के लिये (माम्) मुझ में (परि) सब ओर से (स्वजस्व) चिपट जा ॥५॥
Connotation: - जो मनुष्य ऋषियों के समान कटिबद्ध होकर शुभकार्य करते हैं, वे ही कीर्तिमान् होते हैं ॥५॥
Footnote: ५−(याम्) मेखलाम् (त्वा) (पूर्वे) पूर्वजाः (भूतकृतः) सत्यकर्माणः (ऋषयः) साक्षात्कृतधर्माणः (परिबेधिरे) बध बन्धने−लिट्, आत्मनेपदत्वं छान्दसम्। परिबद्धवन्तः (सा) (त्वम्) (परि) सर्वतः (स्वजस्व) ष्वञ्ज परिष्वङ्गे। आलिङ्ग (दीर्घायुत्वाय) चिरकालजीवनाय (मेखले) ॥