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देवाः॒ पित॑रः॒ पित॑रो॒ देवाः॑। यो अस्मि॒ सो अ॑स्मि ॥

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देवा: । पितर: । पितर: । देवा: । य: । अस्मि । स: । अस्मि ॥१२३.३॥

Atharvaveda » Kand:6» Sukta:123» Paryayah:0» Mantra:3


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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

विद्वानों से सत्सङ्ग का उपदेश।

Word-Meaning: - (देवाः) विद्वान् लोग (पितरः) माननीय, और (पितरः) पालन करनेवाले लोग (देवाः) विजयी होते हैं। मैं (यः) चलने फिरनेवाला [उद्योगी] (अस्मि) हूँ, मैं ही (सः) दुःख मिटानेवाला (अस्मि) हूँ ॥३॥
Connotation: - विद्वान् ही परस्पर पालन करके विजयी, और आत्मविश्वासी और उद्योगी ही परस्पर सहायक होते हैं ॥३॥
Footnote: ३−(देवाः) विद्वांसः (पितरः) पालयितारः। माननीयाः (देवाः) विजिगीषवः (यः) या प्रापणे−ड। गन्ता। उद्योगी (अस्मि) अहं वर्ते (सः) षो अन्तकर्मणि−ड। दुःखनाशकः ॥