विद्वानों से सत्सङ्ग का उपदेश।
Word-Meaning: - (सधस्थाः) हे साथ-साथ बैठनेवाले सज्जनो ! (वः) तुम्हारे लिये (एतम्) इस (शेवधिम्) सुखनिधि परमेश्वर को (परिददामि) सब प्रकार से देता हूँ [उपदेश करता हूँ], (यम्) जिस [परमेश्वर] को (जातवेदाः) विज्ञान को प्राप्त वेदार्थ जाननेवाला पुरुष (आवहात्) अच्छे प्रकार प्राप्त होवे, और [जिसके द्वारा] (यजमानः) परमेश्वर का पूजनेवाला (स्वस्ति) कल्याण (अन्वागन्ता) लगातार पावेगा, (परमे) परम उत्तम (व्योमन्) आकाश में वर्तमान (तम्) उस परमेश्वर को तुम (स्म) अवश्य (जानीत) जानो ॥१॥
Connotation: - जो मनुष्य विद्वानों से मिलकर सदाचारी होते हैं, वे ही सर्वव्यापी परमेश्वर से मिलते हैं। ॥१॥ मन्त्र १, २ कुछ भेद से यजुर्वेद में हैं−अ० १८।५९।६०, इनका अर्थ भगवान् दयानन्द सरस्वती के आधार पर यहाँ किया गया है ॥