Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
मानसविकार के नाश का उपदेश।
Word-Meaning: - (अग्निः) विद्वान् पुरुष (ते) तेरे [मन को] (नि शमयतु) शान्त करता रहे, (यदि) जब (ते मनः) तेरा मन (उद्युतम्) व्याकुल होवे। (विद्वान्) विद्वान् मैं (भेषजम्) औषध (कृणोमि) करता हूँ, (यथा) जिससे तू (अनुन्मदितः) उन्मादरहित (अससि) होवे ॥२॥
Connotation: - मनुष्य विद्वानों से शिक्षा पाकर अपनी रोगनिवृत्ति करे ॥२॥
Footnote: २−(अग्निः) विद्वान् पुरुषः (ते) तव (मनः) (नि शमयतु) नितरां शान्तं करोतु (यदि) सम्भावनायाम् (ते मनः) (उद्युतम्) युञ् बन्धने−क्त। उद्विग्नम् (कृणोमि) करोमि (विद्वान्) विज्ञोऽहम् (भेषजम्) औषधम् (यथा) येन प्रकारेण (अनुन्मदितः) चित्तभ्रमरहितः (अससि) भूयाः ॥