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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रोग नाश करने का उपदेश।
Word-Meaning: - (उपजीकाः) हे [परमेश्वर के] आश्रित प्राणियो ! (वः) तुम्हारे लिये (देवाः) विद्वानों ने (धन्वनि) निर्जल स्थान में (यत् उदकम्) जिस जल को (आ−असिञ्चन्) लाकर सींचा है। (देवप्रसूतेन) विद्वानों के दिये हुए (तेन) अमृत से (इदम् विषम्) इस विष को (दूषयत) नाश करो ॥२॥
Connotation: - जिस प्रकार विद्वान् तोग मरुस्थल में कूप, तडाग, जल नाली आदि द्वारा जल लाकर सुख पाते हैं, वैसे ही मनुष्य विज्ञान द्वारा आत्मिक दोष मिटाकर सुखी होवें ॥२॥
Footnote: २−(यत्) (वः) युष्मदर्थम् (देवाः) विद्वांसः (उपजीकाः) अ० २।३।४। उप+जीव प्राणधारणे−ईकन्, स च डित्। उपजीविनः। परमेश्वराश्रिताः प्राणिनः (आ−असिञ्चन्) आनीय सिक्तवन्तः (धन्वनि) मरुदेशे (उदकम्) जलम् (तेन) तक सहने हासे च, यद्वा तर्द हिंसे−ड। अमृतेन (देवप्रसूतेन) विद्वद्भिः प्रेषितेन (इदम्) (दूषयत) नाशयत (विषम्) विषरूपं दुःखम् ॥