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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
रक्षा और ऐश्वर्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (अर्यमा) अरि अर्थात् हिंसकों का नियामक (आ) और (पूषा) पोषण करनेवाला (आ) और (बृहस्पतिः) बड़े बड़ों का रक्षक पुरुष (त्वा) तुझ [परमेश्वर] को (आ) अच्छे प्रकार (चृततु) बाँधे। [हृदय में रक्खे] (अहर्जातस्य) प्रतिदिन उत्पन्न होनेवाले [प्राणी] का (यत् नाम) जो नाम है, (तेन) उस [नाम से] (त्वा) तुझ को (अति) अत्यन्त करके (चृतामसि=०−मः) हम बाँधते हैं ॥१२॥
Connotation: - जिस प्रकार विद्वान् मनुष्य परमेश्वर का चिन्तन करते हैं, उसी प्रकार सब प्राणी परमात्मा का ध्यान करें ॥१२॥
Footnote: १२−(आ) समुच्चये। सम्यक् (त्वा) देवं परमेश्वरम्−म० ११। (चृततु) चृती हिंसाग्रन्थनयोः। बध्नातु। हृदये धरतु (अर्यमा) अ० ३।१४।२। अरीणां हिंसकः। तेषां नियामकः (पूषा) अ० १।९।१। पोषकः (बृहस्पतिः) अ० १।८।२। बृहतां वेदादिशास्त्राणां पालकः पुरुषः (अहर्जातस्य) अ० ३।१४।१। अहन्यहनि जातस्योत्पन्नस्य प्राणिनः (यत्) (नाम) संज्ञा (तेन) नाम्ना (त्वा) हिरण्यम् (अति) अत्यर्थम् (चृतामसि) चृतामः। बध्नीमः, धरामः ॥