परमात्मा के गुणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (इन्द्रः) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाले परमात्मा] ने (मह्ना) अपनी महिमा से (महतः) विशाल (अर्णवस्य) गतिवाले [वा जलवाले] (अर्बुदस्य) हिंसक [अथवा मेघ के समान अन्धकार करनेवाले वैरी] के (मूर्धानम्) शिर को (वि अभिनत्) तोड़ दिया है, वह [परमात्मा] (अहिम्) सब ओर चलनेवाले मेघ में (अहन्) व्यापा है, और उसने (सप्त) सात (सिन्धून्) बहते हुए समुद्रों [के समान भूर् आदि सात अवस्थावाले सब लोकों] को (अरिणात्) चलाया है, (द्यावापृथिवी) हे आकाश और भूमि ! (देवैः) उत्तम गुणों के साथ (नः) हमको (प्र अवतम्) दोनों बचालो ॥१२॥
Connotation: - भूर्, भुवः आदि सात अवस्थाओं के लिये अ० २०।३४।३। देखो और मिलाओ। परमात्मा अपने अनन्त सामर्थ्य से बड़े-बड़े विघ्नों को हटाकर समस्त संसार की रक्षा करता है, उसी जगदीश्वर की कृपा से धर्मात्मा लोग बलवान् होकर दुष्टों को मिटाकर आनन्द पाते हैं ॥१२॥