विद्वानों के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (बृहस्पतिः) बृहस्पति [बड़ी विद्याओं के रक्षक पुरुष] ने (महः) बड़े (ज्योतिषः) तेज के (परमे) उत्तम (व्योमन्) विविध प्रकार रक्षणीय स्थान में (प्रथमम्) पहिले पद पर (जायमानः) प्रकट होते हुए (तुविजातः) बहुत प्रसिद्ध होकर (रवेण) अपने उपदेश से (सप्तास्यः) सात मुखवाले अग्नि और (सप्तरश्मिः) सात किरणोंवाले सूर्य के समान (तमांसि) अन्धकारों को (वि अधमत्) बाहिर हटाया है ॥४॥
Connotation: - जैसे अग्नि सात प्रकार की ज्वालाओं से और सूर्य सात प्रकार की किरणों से अन्धकार हटाकर पदार्थों को दिखाते हैं, वैसे ही विद्वान् लोग पाँच ज्ञानेन्द्रिय मन और आत्मा से विद्याएँ ग्रहण करके अज्ञान हटाकर विद्या का प्रकाश करें ॥४॥