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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
१-४ राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (अपूर्व्य) हे अनुपम ! [राजन्] (कत् चित्) कुछ भी (स्थूरम्) स्थिर (न) नहीं (भरन्तः) रखते हुए, (अवस्यवः) रक्षा चाहनेवाले (वयम्) हम (वाजे) सङ्ग्राम के बीच (चित्रम्) विचित्र स्वभाववाले (त्वाम्) तुझको (उ) ही (हवामहे) बुलाते हैं ॥१॥
Connotation: - जब दुष्ट चोर-डाकू लोग अत्यन्त सतावें, प्रजागण वीर राजा की शरण लेकर रक्षा करें ॥१॥
Footnote: मन्त्र १-४ आ चुके हैं-अथर्व० २०।१४।१-४ ॥ १-४−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।१४।१-४ ॥