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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
राजा और प्रजा के कर्तव्य का उपदेश।
Word-Meaning: - (गाथिनः) गानेवालों और (अर्किणः) विचार करनेवालों ने (अर्केभिः) पूजनीय विचारों से (इन्द्रम्) सूर्य [के समान प्रतापी], (इन्द्रम्) वायु के समान फुरतीले (इन्द्रम्) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाले राजा] को और (वाणीः) वाणियों [वेदवचनों] को (इत्) निश्चय करके (बृहत्) बड़े ढंग से (अनूषत) सराहा है ॥४॥
Connotation: - मनुष्य सुनीतिज्ञ, प्रतापी, उद्योगी राजा के और परमेश्वर की दी हुई वेदवाणी के गुणों को विचारकर सबके सुख के लिये यथावत् उपाय करे ॥४॥
Footnote: मन्त्र ४-६ आ चुके हैं-अ० २०।३८।४-६ और आगे हैं-२०।७०।७-९ ॥ ४-६-एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।३८।४-६ ॥