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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
१३-२१। परमात्मा और जीवात्मा के विषय का उपदेश।
Word-Meaning: - [उस प्रकाश से] (सूर्य) हे सूर्य ! [रविमण्डल] (अहः) दिन को (अक्तुभिः) रात्रियों के साथ (मिमानः) बनाता हुआ और (जन्मानि) उत्पन्न वस्तुओं को (पश्यन्) दिखाता हुआ तू (द्याम्) आकाश में (पृथु)-फैले हुए (रजः) लोक को (वि) विविध प्रकार (एषि) प्राप्त होता है ॥१९॥
Connotation: - जैसे सूर्य अपने प्रकाश से वृष्टि आदि द्वारा अपने घेरे के सब प्राणियों और लोकों का धारण-पोषण करता है, वैसे ही मनुष्य सर्वोपरि विराजमान परमात्मा के ज्ञान से परस्पर सहायक होकर सुखी होवें ॥१८, १९॥
Footnote: १३-२१−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० १३।२।१६-२४ ॥