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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
१०-१२-परमेश्वर के गुणों का उपदेश।
Word-Meaning: - (अस्य) इस [परमात्मा-मन्त्र १०] के (काम्या) चाहने योग्य, (विपक्षसा) विविध प्रकार ग्रहण करनेवाले, (शोणा) व्यापक (धृष्णू) निर्भय, (नृवाहसा) नेताओं [दूसरों के चलानेवाले सूर्य आदि लोकों] के चलानेवाले (हरी) दोनों धारण-आकर्षण गुणों को (रथे) रमणीय जगत् के बीच (युञ्जन्ति) वे [प्रकाशमान पदार्थ-मन्त्र १०] ध्यान में रखते हैं ॥११॥
Connotation: - जिस परमात्मा के धारण-आकर्षण सामर्थ्य में सूर्य आदि पिण्ड ठहरकर अन्य लोकों और प्राणियों को चलाते हैं, मनुष्य उन सब पदार्थों से उपकार लेकर उस ईश्वर को धन्यवाद दें ॥११॥
Footnote: १०-१२−एते मन्त्रा व्याख्याताः-अ० २०।२६।४-६ ॥