Go To Mantra

इन्द्रे॑ण रोच॒ना दि॒वो दृ॒ढानि॑ दृंहि॒तानि॑ च। स्थि॒राणि॒ न प॑रा॒णुदे॑ ॥

Mantra Audio
Pad Path

इन्द्रेण । रोचना । दिव: । दृह्लानि । दृंहितानि । च ॥ स्थिराणि । न । पराऽनुदे ॥३९.४॥

Atharvaveda » Kand:20» Sukta:39» Paryayah:0» Mantra:4


Reads times

PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI

परमेश्वर की उपासना का उपदेश।

Word-Meaning: - (इन्द्रेण) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवाले परमात्मा] करके (दिवः) व्यवहार के (स्थिराणि) ठहराऊ (रोचना) प्रकाश (न पराणुदे) न हटने के लिये (दृढानि) पक्के किये गये (च) और (दृंहितानि) बढ़ाए गये [फैलाये गये हैं]॥४॥
Connotation: - परमात्मा ने अपने अटल नियमों से सब संसार को सुख दिया है ॥४॥
Footnote: ४−मन्त्राः २- व्याख्याताः-अ०२–०।२८।१-४॥