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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
परमेश्वर की उपासना का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे मनुष्यो !] (इन्द्रम्) इन्द्र [बड़े ऐश्वर्यवान् परमात्मा] को (वः) तुम्हारे लिये और (विश्वतः) सब (जनेभ्यः) प्राणियों के लिये (परि) सब प्रकार (हवामहे) हम बुलाते हैं। वह (अस्माकम्) हमारा (केवलः) सेवनीय (अस्तु) होवे ॥१॥
Connotation: - सब मनुष्य सर्वहितकारी जगदीश्वर की आज्ञा में रहकर आनन्द पावें ॥१॥
Footnote: यह मन्त्र ऋग्वेद में है-१।७।१०, सामवेद-उ०८।१।२ और आगे है-अ०२०।७०।१६॥१−(इन्द्रम्) परमेश्वर्यवन्तं परमात्मानम् (वः) युष्मभ्यम् (विश्वतः) सर्वेभ्यः। सर्वेषां हिताय (परि) सर्वतः (हवामहे) आह्वयामः (जनेभ्यः) प्रादुर्भूतानां प्राणिनां हिताय (अस्माकम्) मनुष्याणाम् (अस्तु) (केवलः) केवृ सेवने-कलच्। सेवनीयः ॥