Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दिन और राति के उत्तम प्रयोग का उपदेश।
Word-Meaning: - [तब] (प्रचेतसा) हे उत्तम ज्ञान देनेवाले ! तुम दोनों (द्युम्नाय) चमकते हुए यश के लिये (प्र=प्रभवथः) समर्थ होते हो, (शवसे) बल के लिये (प्र) समर्थ होते हो, (नृषह्याय) मनुष्यों को सहाय देनेवाले (शर्मणे) शरण [घर आदि] के लिये (प्र) समर्थ होते हो, और (दक्षाय) चतुराई [कार्यकुशलता] के लिये (प्र) समर्थ होते हो ॥॥
Connotation: - मनुष्य दिन-राति तत्त्व का ग्रहण करके यशस्वी, बलवान् और कार्यकुशल होवें ॥४-६॥
Footnote: −(प्र) प्रभवथः। समर्थौ भवथः (द्युम्नाय) द्योतमानाय यशसे (प्र) प्रभवथः (शवसे) बलाय (प्र) प्रभवथः (नृषह्याय) शकिसहोश्च। पा० ३।१।९९। षह क्षमायां-यत्, सहितायां दीर्घः। नॄणां सहायाय (शर्मणे) गृहाय। शरणाय (प्र) प्रभवथः (दक्षाय) दक्षत्वाय। कार्यकुशलत्वाय (प्रचतसा) हे प्रकृष्टज्ञानप्रदौ ॥