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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दिन और राति के उत्तम प्रयोग का उपदेश।
Word-Meaning: - (यत्) जब (अद्य) (अश्विनौ) दोनों अश्वी [व्यापक दिन-राति] को (वाजसातये) विज्ञान के लाभ के लिये (अहम्) मैं (हुवेय) बुलाऊँ। और (पृत्सु) संग्रामों के बीच (तुर्वणे) शत्रुओं के मारने में (यत्) जो (सहः) बल है, (तत्) वह (अश्विनोः) दोनों अश्वी [व्यापक दिन-राति] की (श्रेष्ठम्) अति उत्तम (अवः) रक्षा [होवे] ॥३॥
Connotation: - मनुष्य सदा विज्ञान के साथ अपना सामर्थ्य बढ़ावें, और शत्रुओं को मारकर सुखी होवें ॥३॥
Footnote: ३−(यत्) यदा (अद्य) अस्मिन् दिने (अश्विनौ) म० २। व्यापकौ। अहोरात्रौ (अहम्) (हुवेय) आह्वयेय (वाजसातये) विज्ञानस्य लाभाय (यत्) (पृत्सु) संग्रामेषु (तुर्वणे) कॄपॄवृजि०। उ० २।८१। तुर्वी हिंसायाम्-क्यु। शत्रूणां नाशने (सहः) अभिभवितृ बलम् (तत्) (श्रेष्ठम्) प्रशस्यतमम् (अश्विनोः) अहोरात्रयोः (अवः) रक्षणं भवतु ॥