Reads times
PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दिन और राति के उत्तम प्रयोग का उपदेश।
Word-Meaning: - [हे दिन-राति दोनों !] (छर्दिष्पौ) घर के रक्षक होकर (यातम्) आओ, (उत) और (नः) हमारे बीच (परस्पा) पालनीयों के पालक, (जगत्पा) जगत् के रक्षक (उत) और (नः) हमारे (तनूपा) शरीरों के बचानेवाले (भूतम्) होओ, और (तोकाय) सन्तान और (तनयाय) पुत्र के हित के लिये (वर्तिः) [हमारे] घर (यातम्) आओ ॥१॥
Connotation: - सब मनुष्य घर आदि स्थानों में दिन-रात का सुप्रयोग करके अपने बालक आदि को सुमार्ग में चलावें ॥१॥
Footnote: यह सूक्त ऋग्वेद में है-८।९।११-१ ॥ १−(यातम्) आगच्छतम् (छर्दिष्पौ) गृहपालकौ (उत) अपि च (नः) अस्माकं मध्ये (परस्पा) पॄ पालनपूरणयोः-असुन्। परसां पालनीयानां पालकौ (भूतम्) भवतम् (जगत्पा) जगतः संसारस्य रक्षकौ (उत) (नः) अस्माकम् (तनूपा) शरीराणां पालकौ (वर्तिः) अर्चिशुचिहु०। उ० २।१०८। वृतु वर्तने-इसि। छर्दिः। गृहम् (तोकाय) सन्तानहिताय (तनयाय) पुत्रहिताय (यातम्) आगच्छतम् ॥