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PANDIT KSHEMKARANDAS TRIVEDI
दिन और रात्रि के उत्तम प्रयोग का उपदेश।
Word-Meaning: - (ऋषिः) ऋषि [विज्ञानी पुरुष] (अश्विनोः) दोनों अश्वी [व्यापक दिन-राति] के (स्तोमम्) स्तुतियोग्य कर्म को (वामया) उत्तम बुद्धि से (नूनम्) अवश्य (आ) सब ओर से (चिकेत) जाने। और (मधुमत्तमम्) अत्यन्त ज्ञानवाले और (घर्मम्) प्रकाशवाले (सोमम्) सोम [तत्त्व रस] को (अथर्वणि) निश्चल [जिज्ञासु] पर (आ) भले प्रकार (सिञ्चात्) सींचे ॥२॥
Connotation: - विज्ञानी पुरुष काल की महिमा जानकर जिज्ञासुओं को तत्त्वज्ञान का उपदेश करे ॥२॥
Footnote: २−(आ) समन्तात् (नूनम्) अवश्यम् (अश्विनोः) अथ० २।२९।६। अश्विनौ अहोरात्रावित्येके-निरु० १२।१। व्यापकयोः। अहोरात्रयोः (ऋषिः) विज्ञानी पुरुषः (स्तोमम्) स्तुत्यव्यवहारम् (चिकेत) कित ज्ञाने-लिट्-जानीयात् (वामया) वामः प्रशस्यः-निघ० ३।८। उत्कृष्टया बुद्ध्या (आ) (सोमम्) तत्त्वरसम् (मधुमत्तमम्) अतिशयेन मधुविद्यायुक्तम् (घर्मम्) अ० २०।१३९।४। घृ दीप्तौ-मक्। दीप्यमानम् (सिञ्चात्) सिञ्चेत् (अथर्वणि) अथ० ४।१।७। अ+थर्व चरणे-वनिप्, वलोपः। निश्चले जिज्ञासौ ॥